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Stories related to thinking fast and slow pdf daniel kahneman

Riya Sharma

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मनीष कुमार पाटीदार

#Thinking

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White सोचते हैं बहुत सोचना आसान है।
दिखाई दे सच, सच भी नादान है।

जो गुज़र गई उसका मलाल नहीं,
जो गुज़र रहा पल वह मेहरबान है।

हर चेहरा जाना पहचाना तो नहीं,
मगर अजनबी भी यहॉं मेहमान है। 

किसी की राह में सहारा बन जाना,
अच्छी आदत में कहॉं नुकसान है।

नज़र तो पैनी रखेंगे अपने काम में,
नज़र में आजकल अच्छे इंसान है‌।

ज्यादा टकटकी न लगाना 'मनीष'
अभी - अभी सफ़र में इम्तिहान है।

©मनीष कुमार पाटीदार #Thinking

Sakshi Shankhdhar

#Thinking

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White शहर में थे लाखों मगर,
हम बस उन्ही पर मर गए,
हमने छोड़ दी दुनिया उनके लिए,
और वो जनाब किसी और के हो गए।

वादा था राह ए मोहब्बत पर चलने का,
हमको बीच सफ़र में छोड़,
जनाब हमसफर किसी और के हो गए।

हमारे तो ख्वाबों में वो बसते है,
जब खोली आंखे एक सुबह,
जनाब हकीकत में किसी और के हो गए।

अजनबी सा रिश्ता था, मिले भी थे अजनबी राहों में,
मोहब्बत का सिलसिला चोरी से शुरू हुआ,
जनाब सरेआम किसी और के हो गए।

उनकी यादों में इतना जले रात दिन,
जैसे जलता है परवाना शमा के लिए,
जनाब यूं होके बेखबर किसी और के हो गए।

©Sakshi Shankhdhar #Thinking

Siya Singh

thinking

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White jo likha hai kismat me wahi hona hai to phir rona kaisa jo hai hai hi nhi apna to use khona kaisa...

©Siya Singh thinking

Jest Time Pass Media

Monthly coming and fast going this is the life

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kalam_shabd_ki

#Thinking

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White मैं उस सीढ़ी से फिसला,
जिसके बाद छत आने वाली थी,  
बस एक कदम था बाकी,  
पर किस्मत ने फिर से चाल चली थी।  

रिश्तों की उस मोड़ से लौटा,  
जहां रास्ते कई खुलते थे,  
पर उलझनों में खो गया मैं,  
जहां दिल के फैसले बिखरते थे।  

छत की तलाश में चला था,  
पर शायद रास्ते ही बदल गए,  
जिन्हें मैं अपना मान रहा था,  
वो पल कहीं दूर निकल गए।  

अब न छत की ख्वाहिश बाकी,  
न रिश्तों का वो सवाल,  
मैं अपनी राह पर हूँ चल पड़ा,  
नया सफर, नई मिसाल।

- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki #Thinking
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