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N S Yadav GoldMine
White गीता ९।११) {Bolo Ji Radhey Radhey} 'मेरे परम भाव को न जानने वाले मूढ़लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ सम्पूर्ण भूतों के महान् ईश्वर को तुच्छ समझते हैं, अर्थात् अपनी योगमाया से संसार के उद्धार के लिये मनुष्य रूप में विचरते हुए मुझ परम् पिता को साधारण विचरण करने वाला समझते हैं। यह मेरी माया का स्वरुप हैं, जो मनुष्य को भटकने में मदद करती है।। ©N S Yadav GoldMine #kargil_vijay_diwas गीता ९।११) {Bolo Ji Radhey Radhey} 'मेरे परम भाव को न जानने वाले मूढ़लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ सम्पूर्ण भू
#kargil_vijay_diwas गीता ९।११) {Bolo Ji Radhey Radhey} 'मेरे परम भाव को न जानने वाले मूढ़लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ सम्पूर्ण भू #मोटिवेशनल
read morePrakhar Tiwari
White वो सावन की पहली बारिश है, मन में जो नयी ख्वाहिश है। मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू में, रहती एक प्यारी सी यादिश है। पहली बूंद जो गिरी ज़मीन पर, जैसे गीत कोई मधुर छेड़ा। आँगन में बिखरी हरी-हरी क़ुदरत, हर पत्ता जैसे नृत्य में खड़ा। बचपन के वो दिन याद आ गए, काग़ज़ की नावें बनाकर चलाए। बारिश में भीगते हुए हंसी ठिठोली, दोस्तों संग वो पल फिर जी आए। सपनों की ये सौगात है, आसमान से आई सौगंध है। हर एक बूंद जैसे संदेशा लाई, प्रकृति की प्यारी सी मुस्कान है। वो सावन की पहली बारिश है, हर दिल में बसी एक चाहत है। जिंदगी में फिर से रंग भरने, वो बादल की सुंदर बरसात है। ©Prakhar Tiwari #alone_sad_shayri हिंदी कविता कविता कोशवो सावन की पहली बारिश है, मन में जो नयी ख्वाहिश है। मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू में, रहती एक प्यारी
#alone_sad_shayri हिंदी कविता कविता कोशवो सावन की पहली बारिश है, मन में जो नयी ख्वाहिश है। मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू में, रहती एक प्यारी
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस , जहाँ लखन का राज ।।२ राजा बनकर राज कर , बनना नहीं नवाब । पारिजात को भूलकर , खोजे आज गुलाब ।।३ अपना भी इतिहास पढ़, खोल पुराने ग्रंथ । वह बतलायेंगे तुम्हें , सरल सुलभ नित पंथ ।।४ सुनना चाहो आप नित , कोई कहे नवाब । क्या अपने फिर धर्म को , दोगे आप जवाब ।।५ सबको अपने धर्म का , करना चहिये मान । इसीलिए तो जन्म ये , दिया तुम्हें भगवान ।।६ बने सनातन फिर रहे , गली-गली सब लोग । होता ज्ञान अगर तुम्हें , करते उचित प्रयोग ।।७ ज्ञान नहीं है धर्म का , भटक रहे सब लोग । तब ही तो तुम कर रहे , अनुचित यहां प्रयोग ।।८ हुआ तुम्हारे कर्म से , धर्म अगर बदनाम । याद रखो बख्शे नहीं , तुम्हें कभी भी राम ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस ,
दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस , #कविता
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