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कवि प्रभात

हिंदी कविता कविता कोश कविता

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मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब  तक  प्रियतम |
जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम ||

©कवि प्रभात  हिंदी कविता कविता कोश कविता

Anurag Nishad

बारिश पर कविता हिंदी कविता कविता कोश प्रेम कविता कविता

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Shiv Narayan Saxena

#rajdhani_night वीर कोन ये.....

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White नाच न जाने ऑंगन टेढ़
पास नहीं होगी यह भेड़.

बार - बार करते हैं लॉंच
झेल न पाते ये एवलॉंच.

फुस्स पटाखा झूठे बोल
वोटर खोले इनकी पोल

वीर कौन ये समझे क्या?
देश की इसे नहीं परवाह. 
😜😆😜😆😜😆

©Shiv Narayan Saxena #rajdhani_night वीर कोन ये.....

Kavi Himanshu Pandey

क्रोधाग्नि, एक वीर #beingoriginal Hindi

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Shiv Narayan Saxena

#Buddha_purnima रस में डूबे बोल.....

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White किसी को भी  भाते नहीं, तीखे कड़वे बोल।
सम्बन्धों को ठीक नहीं, स्वार्थ में डूबे बोल।।

पछताये कुछ  बोल के, समझै न जो मोल।
मनमुटाव को खत्म करैं, रस में डूबे बोल।।

©Shiv Narayan Saxena #Buddha_purnima रस में डूबे बोल.....

bina singh

#devdas कविता ,कविता , प्रेम कविता कविता कोश

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मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती 
अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती
अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती 
मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती
मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh

©bina singh #devdas   कविता ,कविता , प्रेम कविता कविता कोश

Ravendra

काव्य रस बिखरने आएंगे अनामिका

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नीतू सिंह

Amrendra Kumar Thakur

#oldage हिंदी कविता कविता कोश कविता हिंदी कविता

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तरक्की का मतलब क्या?


चूल्हे पर जलती धीमी लौ,
कुनकुनाती आग में यादें बुनती जो।
झुर्रियों में छिपी कितनी कहानियाँ,
जीवन की उतार-चढ़ाव की निशानियाँ।

सालों के सफ़र में ये हाथ थके,
ख़्वाब बुने जो अब धुंधले दिखे।
इस घर की नींव में उनके पसीने,
आज अकेले, बिन किसी साए के जीने।

तरक्की का मतलब क्या हुआ?
अगर माँ-बाप का सहारा ना बना।
जिन्होंने हर मुश्किल सह ली,
उनके बुढ़ापे में, हम दूर चल दिए।

दुनिया आगे बढ़ती जाती,
पर ये उम्र ठहर सी जाती।
सफलता का क्या मतलब है अगर,
उनकी देखभाल से हम हट गए, कहीं दूर जाकर?

ना हो उनकी उम्र में कोई दर्द,
ना झलके आँखों में कोई सर्द।
तरक्की वो नहीं जो प्यार ना दे,
जो अपने बुज़ुर्गों का साथ ना रहे।

©Amrendra Kumar Thakur #oldage
 हिंदी कविता कविता कोश कविता  हिंदी कविता

जनकवि शंकर पाल( बुन्देली)

#श्रंगार रस

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