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neelu
White इंसान में दो अच्छी आदतें जरूर होनी चाहिए... कौन सी.... कौन सी ©neelu #Sad_Status #कौन सी #कौन सी
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read moreneelu
White अज्ञान में यह नहीं होता सूरज को कौन दिया कहत1 हैं ©neelu #GoodMorning #सूरज को #कौन #कौननहींचाहता दिया कहते हैं
#GoodMorning #सूरज को #कौन #कौननहींचाहता दिया कहते हैं
read morekavi Dinesh kumar Bharti
टीका बन गया रोग ©kavi Dinesh kumar #टीका बन गया रोग कविता
#टीका बन गया रोग कविता
read moreAnita Agarwal
White भटकता है मन यहां वहां मन पर सुसज्जित कौन है हाथ में खंजर मुख पर मुस्कान बिखेरे, आत्मा रक्त रंजित कौन है बद से बदतर होते जा रहे आचार और विचार इनके दुष्प्रभाव से अकारण ही शोषित कौन है औरों पर एक तो चार खुद पर भी उठेगी इल्जाम लगाने से पहले देखो कि इंगित कौन है कब तक करते रहेंगे मिलावट श्रद्धा और भक्ति में भी एक बार तो सोचो कि कण कण में समाहित कौन है औरों की जानकारी रखते हैं स्वयं से ज्यादा पर सही मायने में स्वयं से परिचित कौन है ©Anita Agarwal कौन है
कौन है
read moreImran Shekhani (Yours Buddy)
आपके अपने कौन हैं? #Original #ownvoice #thought #lifequotes #philosophical #fundaoflife #YoursImran #YoursBuddy
read moreIndian Kanoon In Hindi
पत्नी द्वारा पति पर मानसिक क्रूरता में कौन-कौन से कृत्य आते हैं | mental Cruelty on husband #Shorts
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पत्नी द्वारा पति पर मानसिक क्रूरता में कौन-कौन से कृत्य आते हैं | mental Cruelty on husband
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी मन के संचित भावो ने ही आवरण भव भवो के ओड़े है आकुल व्याकुल हर्ष विषाद में अनजाने पापो के पाप आत्मा में जोड़े है करो चिकित्सा इनकी अब दस दिन दसधर्म को प्रगटाओ एक एक धर्म का सार समझो बोधिसत्व चेतना तक पहुँचायो कैम्प समझो आत्मशुद्धि का दस दिन विकारों को दूर भगाये सत्य शौच संयम त्याग तपस्या और व्रतों से मुक्तिपथ अपनाकर जन्म मरण का रोग भगाये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Buddha_purnima जन्म मरण के रोग भगाये #nojotohindi
#Buddha_purnima जन्म मरण के रोग भगाये #nojotohindi
read moreHeer
रोग ऐसा रोग लगा मुझे की, अब नहीं दिखता कोई अपना, जकड़ा मुझको इसने ऐसे की, रहा न कोई अपना। छाया अब घनघोर अंधेरा, कैसी दुविधा है आई, चारो ओर उदासी है लाई, इंतजार जीवन भर पाया। चेहरे पर खुशी नहीं अब, ऐसा साल आया अब, पैसे रहा न अपने रहे,रहा न कोई अपना। शुरुआत में लगा मुझे भी, सलामत घर को लौट जाऊंगा, सब कुछ ठीक फिर हो जायेगा,पहले जैसा बन जायेगा। लेकिन फिर अचानक से, इस बीमारी ने अपना रंग दिखाई, दिखाया मुझको फिर आइना, मुझसे मेरी पहचान कराई। अब पूछते है एक दूसरे से, कब होगा सब पहले जैसा, कब तक रहेगा सब ऐसा, हर सुबह करते है अब सब, सवाल नए एक दूसरे से। कही ऐसा न हो जाए, उड़ जाए पंछी अकेला, रह जाए बस खाली पिंजरा, समझ आया जब रोग ये लगा, रहा न कोई अपना। Alfazii 🖊️💙 ©Heer #रोग