Find the Latest Status about अंधेरे netflix from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, अंधेरे netflix.
बेजुबान शायर shivkumar
White तुम रह्ते हो खयलो म्र् ©बेजुबान शायर shivkumar तुम पास ना होकर भी , तुम रहते हो मेरे #साथ मे इन #अंधेरी गलीयों को यु , तुम करते हो इन्हे रौशन इस बंजर से बाग को , तुम्ही तो #महकाते हो
Rakesh frnds4ever
White आजा री आ रे आ निंदियां ले चल उड़न खटोले में दूर दूर कहीं दूर यहां से दूर,,,,जहां से दूर,,,, ,,,,,,,, जहां कोई नहीं हो ,,,,,,,,, तेरे मेरे सिवा ,,, ,,,,,, जहां कुछ भी नहीं हो ,,,,,,,,,,,,अंधेरे सिवा ,,, ना कोई परिंदा न इंसान कोई जिंदा ,,, जहां कुछ न करे मुझे शर्मिंदा ,,,, जगह हो कोई वो ,,,,,,,,, जहां से परे,,, इतना परे कि उसकी खबर भी न पहुंचे दूर दूर ,,,,,वहां से दूर,,,,,, ©Rakesh frnds4ever #आजा री आ रे आ #निंदिया ले चल #उड़न खटोले में दूर दूर कहीं दूर यहां से #दूर ,,,,जहां से दूर,,,, ,,,,,,,, जहां कोई नहीं हो ,,,,,,,,, #ते
neelu
White हम क्यों भुलाना चाहते हैं कि हम क्यों चल रहे हैं हम क्या क्या कह रहे हैं क्यों रावण जला रहे हैं हम क्यों अंधेरे के लिए जला रहे हैं ©neelu #diwali_wishes हम #क्यों #भुलाना चाहते हैं कि हम #क्यों चल रहे हैं हम क्या #क्या कह रहे हैं क्यों #रावण #जला रहे हैं हम क्यों #अंधेरे के
Abhi Raj
White अशान्त मन से लोग उजाले में भी खो जाते हैं, जबकि शान्त चित्त वाला व्यक्ति अंधेरे में भी रास्ता ढूंढ लेता है ©Abhi Raj #Couple #अशान्त मन से लोग उजाले में भी खो जाते हैं, जबकि शान्त चित्त वाला व्यक्ति अंधेरे में भी रास्ता ढूंढ लेता है# सुविचार इन हिंदी
Dilbag-Heart of Garden
White "काली रातों में कोरे कागज को काला करता हूँ। टूटती उम्मीद को हिम्मत और आत्मविश्वास से जोड़ता हूँ। अंधेरे की कोई सीमा नहीं, पर उजाले की राह ढूंढता हूँ। हर ठोकर से सबक लेता हूँ, अपने सपनों को फिर से बुनता हूँ। हार नहीं मानूँगा मैं, हर दिन को एक नई शुरुआत करता हूँ। मंज़िल चाहे कितनी भी दूर हो, अपने क़दमों को रुकने नहीं देता हूँ।" ©Dilbag-Heart of Garden अंधेरे से उजाले तक: संघर्ष से सफलता की ओर" #Motivation #SelfBelief #StruggleToSuccess #HindiPoetry #InspirationalQuotes #LifeLessons #Positi
अंधेरे से उजाले तक: संघर्ष से सफलता की ओर" #Motivation #selfbelief #StruggleToSuccess #hindipoetry #inspirationalquotes #lifelessons Positi
read moreMiMi Flix
"रानी आदिति की वीरता: गौरवमयी विजय" - एक ऐसे देश में जहां वीरता और नियति का मिलन होता है, रानी आदिति अपने लोगों के लिए आशा की किरण बनकर खड़ी
read moreMiMi Flix
"अंधेरे में छुपी आत्मा - भयानक रहस्य, लेखक और आत्मा की कहानी" - गहरे जंगल में एक पुराना घर, एक लेखक की तलाश, और एक खौफनाक रहस्य—क्या इस घर म
read moreFuck off nojoto
अंधेरे की क्या बिसात जब हँस के तूने .. निगाहों से उम्मीद का दिया जलाया है !! दिल में लिक्खा दीवारों पे पढ़ लेता है .. हर्फ़ शनास दिल ने तेरे जिसे बनाया है !! ©Arsh.... अंधेरे की क्या बिसात जब हँस के तूने .. निगाहों से उम्मीद का दिया जलाया है !! दिल में लिक्खा दीवारों पे पढ़ लेता है .. हर्फ़ शनास दिल ने त
अंधेरे की क्या बिसात जब हँस के तूने .. निगाहों से उम्मीद का दिया जलाया है !! दिल में लिक्खा दीवारों पे पढ़ लेता है .. हर्फ़ शनास दिल ने त
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था। तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।" जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे। फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?" लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ ChatGPT can make ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
read more