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Dharamveer Kumar

काजल पर शायरी

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दिल में प्यार का तूफान लेकर बरसता बादल बन जाऊं हसरत मेरी है की आंखों का तेरी आंखों का काजल बन जाऊं ♥️

©Dharamveer Kumar काजल पर शायरी

Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes पाप के सब बाप है यहाँ

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White पल्लव की डायरी
अनकही जिंदगी है 
तरह तरह से रोज रोज सताती है
उगते,अस्त होते,चाँद सूरज
पड़ाव उम्रो के हम कितने चढ़ जाते है
मलते रहते ख्वाहिश के सपने
मेहनत कर कर मर जाते है
उसूलो वाले संसार की जमात में
हम जैसे नेक सत्यवादी पनप नही पाते है
  सज्जनता का यहाँ ना कोई मोल
 घुट कर जलील सब करते जाते है
पाप के सब बाप है यहाँ
हर हिस्से ईमानदार के खाये जाते है
नीयत और नैतिकता की आड़ लिये
शिकार सबको बनाये जाते है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes पाप के सब बाप है यहाँ

priynka

प्यार पर कविता

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White kon kon buy karna chta h

©Himanshu Mhata            प्यार पर कविता

tanvi(^_^)

कविता बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता कोश

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RUPESH Kr SINHA

हर कोई यहाँ हर किसी को गिराना चाहता है

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Hemraj Dangi

बारिश पर कविता

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- माँग तेरी मैं सज़ाना चाहता हूँ  हाँ तुझे अपना बनाना चाहता हूँ  राह उल्फ़त की बनाना चाहता हूँ  प्यार हर दिल में बसाना चाहता हूँ  आप बिन

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ग़ज़ल :-
माँग तेरी मैं सज़ाना चाहता हूँ 
हाँ तुझे अपना बनाना चाहता हूँ 
राह उल्फ़त की बनाना चाहता हूँ 
प्यार हर दिल में बसाना चाहता हूँ 
आप बिन तो इस जहाँ में कुछ नही है 
बात मिलकर ये बताना चाहता हूँ 
दो कदम जो साथ मेरे तुम चलो तो 
इक़ नई दुनिया दिखाना चाहता हूँ 
रोते-रोते रात सारी कट गई यह 
भोर तक तुमको हँसाना चाहता हूँ 
ख़्वाब में आकर करोगे तुम परेशां
नींद पलको से हटाना चाहता हूँ 
बिन तुम्हारे जो गुजारी है यहाँ पर
उसकी हर कीमत चुकाना चाहता हूँ 
भूलकर बातें पुरानी आज तुमको
मैं गले अपने लगाना चाहता हूँ 
फिर न तोड़े कोई ये बंधन वफ़ा का
इस तरह रिश्ते निभाना चाहता हूँ ।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
माँग तेरी मैं सज़ाना चाहता हूँ 
हाँ तुझे अपना बनाना चाहता हूँ 
राह उल्फ़त की बनाना चाहता हूँ 
प्यार हर दिल में बसाना चाहता हूँ 
आप बिन

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- यूँ न माँ बाप का दिल दुखा दीजिए । बृद्ध हैं तो उन्हें आसरा दीजिए ।। थाम हाथों को जिनके हुए हो बड़े  शीश चरणों में उनके झुका दीजिए  जख़्

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ग़ज़ल :-
यूँ न माँ बाप का दिल दुखा दीजिए ।
बृद्ध हैं तो उन्हें आसरा दीजिए ।।
थाम हाथों को जिनके हुए हो बड़े 
शीश चरणों में उनके झुका दीजिए 
जख़्म जितने सहे हैं तुम्हारे लिए 
फूल दामन में उतने ख़िला दीजिए 
बाप का फर्ज जो भूल पाये नही 
मान सम्मान उनका बढ़ा दीजिए
हैं बहन बेटियाँ सबकी साझीं यहाँ 
बात बेटों को इतनी बता दीजिए 
घर में आई बहू है हमारे नई 
आप नज़रे न उसको लगा दीजिए 
इस जहाँ में पिता परमेश्वर ही यहाँ ।
जाके चरणों में सब कुछ लुटा दीजिए 
मोल जिनका यहाँ पर चुका ना सको 
उनकी सेवा में जीवन बिता दीजिए 
साथ लाये थे क्या जो हुआ दुख तुम्हें
बात इतनी तो जग को बता दीजिए 
हैं दुवाएँ प्रखर साथ माँ बाप की 
आप राहों में रोड़े लगा दीजिए 
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
यूँ न माँ बाप का दिल दुखा दीजिए ।
बृद्ध हैं तो उन्हें आसरा दीजिए ।।
थाम हाथों को जिनके हुए हो बड़े 
शीश चरणों में उनके झुका दीजिए 
जख़्

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये

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मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।

मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो ।
ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते -
मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।।

बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना ।
हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना ।
जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया -
अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।।

यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया ।
हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया ।
अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता -
यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये

Sandeep L Guru

यहाँ ट्यूलिप्स पर आधारित एक अनोखी कविता प्रस्तुत है। #sandeeplguru #viral #Poetry #Tulips poetry in hindi deep poetry in Life h

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White ट्यूलिप का संदेश


बर्फ की चादर ओढ़े हुए,धरती के आँचल में छिपे,
ट्यूलिप के फूल ने ये कहा,संघर्ष में भी खिलना है सदा।

 हर रंग में छिपी है बात,प्रकृति की प्यारी सौगात,
जैसे ट्यूलिप मुस्कराए,वैसे ही जीवन में रंग भर जाएं।

नाज़ुक पंखुड़ियों में छिपा है,एक हौसला, एक नया सवेरा,
ट्यूलिप का हर फूल कहता है,अंधेरों में भी उजाला होता है।

तो सीखो इन फूलों से जीना,हर मुश्किल में खुद को पाना,
क्योंकि ट्यूलिप के गुलदस्ते में,छिपा है जिंदगी का फ़साना।

©Lucky Latest यहाँ ट्यूलिप्स पर आधारित एक अनोखी कविता प्रस्तुत है।
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