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Vijay Vidrohi
"मेरा अंबेडकर" मेरी नजर मेरा नजराना है अंबेडकर। मेरा सफर मेरा ठिकाना है अंबेडकर।। मेरा घर, मेरी जमीं, मेरा आसमां है अंबेडकर मेरा परिवार, मेरा समाज, मेरा जहां है अंबेडकर। मेरी शिक्षा मेरा रोजगार है अंबेडकर मेरा मान, सम्मान वह अधिकार है अंबेडकर। मेरा इतिहास, मेरा भविष्य, मेरा वर्तमान है अंबेडकर मेरा गर्व, मेरा घमंड मेरा अभिमान है अंबेडकर। मेरा पठन, मेरी लेखनी, मेरी वर्तनी है अंबेडकर मेरा स्कूल, मेरा कॉलेज, मेरी यूनिवर्सिटी है अंबेडकर। मेरा सहारा, मेरा हौसला, मेरी उम्मीद है अंबेडकर मेरी दीवाली, मेरी होली, मेरी ईद है अंबेडकर। मेरी सांसे, मेरी धड़कन, मेरी जिंदगी है अंबेडकर मेरा चैन, मेरी हंसी, मेरी खुशी है अंबेडकर। मेरा god, मेरा भगवन, मेरा अल्लाह है अंबेडकर मेरा साहिल, मेरी कश्ती, मेरा मल्लाह है अंबेडकर। मेरा लक्ष्य, मेरा उद्देश्य, मेरा सपना है अंबेडकर मेरी मां, मेरा पिता, मेरा अपना है अंबेडकर। ©Vijay Vidrohi मेरा अंबेडकर motivational thoughts in hindi on success motivational thoughts for students motivational shayari in english motivationa
मेरा अंबेडकर motivational thoughts in hindi on success motivational thoughts for students motivational shayari in english motivationa
read moreSunita Pathania
neelu
White Yesterday I saw a few episodes of the Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God... ©neelu #sad_quotes #Yesterday I #saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
#sad_quotes #yesterday I #Saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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