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Rakesh frnds4ever

ये #समय जो असीमित तेज रफ्तार से दौड़ रहा है,, कहीं #रुक जाए, #ठहर जाए कहीं अब और नहीं , बस मुझमें बसे इस #अकेलेपन से कोई निकाल ले म

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IG @kavi_neetesh

*मनहरण घनाक्षरी* ==================== प्रातकाल जागकर रवि को नमन कर, *हृदय आनंद भर सब मुसकाइए* | व्यस्त हैं मनुज सभी

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नवनीत ठाकुर

# मय को हाथ लगाता नहीं, पर साक़ी जो जाम भर दे, तो फिर उसे छोड़ पाता नहीं, जिद पर आ जाऊं तो उसकी कलाई थाम लूँ, और फिर कभी खुद से छुड़ा पाता न

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White 
मय को हाथ लगाता नहीं, 
पर साक़ी जो जाम भर दे, तो फिर उसे छोड़ पाता नहीं।
जिद पर आ जाऊं तो उसकी कलाई थाम लूँ, 
और फिर कभी खुद से छुड़ा पाता नहीं।

उसकी हंसी में है मेरे होश और बेहोशी का हर लम्हा छुपा,
मैं देखूँ उसे, वो हंस दे, तो दिल उसका तोड़ पाता नहीं।

उसकी खुशबू में जैसे मय का हर कतरा घुला हो,
उसकी रूह से उठता है वो नशा, जो कभी उतर पाता नहीं।

©Navneet Thakur #
मय को हाथ लगाता नहीं, पर साक़ी जो जाम भर दे, तो फिर उसे छोड़ पाता नहीं,
जिद पर आ जाऊं तो उसकी कलाई थाम लूँ, और फिर कभी खुद से छुड़ा पाता न

Anjali Singhal

"मेरी नज़र का हर सफ़र, तुझ पर ही आकर ठहरा है; कहने को तो तू मेरा नहीं, पर दिल कहता तू मेरा है। थाम कर तू धड़कन अपनी, दिल की भी ज़रा सुन लेन

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Poet Maddy

कुछ इस तरह से थाम कर, बैठा हूं शाम को इक रोज़ से....... #Hold#sit#evening#say#comeback#soon#wait......

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कुछ इस तरह से थाम कर,
बैठे हैं शाम को इक रोज़ से........
जब से वो कहकर गया है,
जल्द लौटेंगे इंतज़ार करना........

©Poet Maddy कुछ इस तरह से थाम कर,
बैठा हूं शाम को इक रोज़ से.......
#Hold#Sit#Evening#Say#ComeBack#Soon#Wait......

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- यूँ न माँ बाप का दिल दुखा दीजिए । बृद्ध हैं तो उन्हें आसरा दीजिए ।। थाम हाथों को जिनके हुए हो बड़े  शीश चरणों में उनके झुका दीजिए  जख़्

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ग़ज़ल :-
यूँ न माँ बाप का दिल दुखा दीजिए ।
बृद्ध हैं तो उन्हें आसरा दीजिए ।।
थाम हाथों को जिनके हुए हो बड़े 
शीश चरणों में उनके झुका दीजिए 
जख़्म जितने सहे हैं तुम्हारे लिए 
फूल दामन में उतने ख़िला दीजिए 
बाप का फर्ज जो भूल पाये नही 
मान सम्मान उनका बढ़ा दीजिए
हैं बहन बेटियाँ सबकी साझीं यहाँ 
बात बेटों को इतनी बता दीजिए 
घर में आई बहू है हमारे नई 
आप नज़रे न उसको लगा दीजिए 
इस जहाँ में पिता परमेश्वर ही यहाँ ।
जाके चरणों में सब कुछ लुटा दीजिए 
मोल जिनका यहाँ पर चुका ना सको 
उनकी सेवा में जीवन बिता दीजिए 
साथ लाये थे क्या जो हुआ दुख तुम्हें
बात इतनी तो जग को बता दीजिए 
हैं दुवाएँ प्रखर साथ माँ बाप की 
आप राहों में रोड़े लगा दीजिए 
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
यूँ न माँ बाप का दिल दुखा दीजिए ।
बृद्ध हैं तो उन्हें आसरा दीजिए ।।
थाम हाथों को जिनके हुए हो बड़े 
शीश चरणों में उनके झुका दीजिए 
जख़्

Anjali Singhal

"ख़्यालों के जज़ीरे पे बैठे हैं हम दिल थाम के, कि कब उनका दिल धड़के और वो हमारा नाम लें!" #AnjaliSinghal #Shayari nojoto

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Ravendra

महिला की नृशंस हत्या की घटना का सफल अनावरण, 02 अभियुक्त गिरफ्तार... आलाकत्ल बरामद ।* पुलिस अधीक्षक महोदय जनपद बहराइच श्रीमती वृन

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Vic@tory

किसी का हाथ थाम के छोड़ना नहीं,

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा   कुण्डलिया :- सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ । हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।। रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते । व्याध

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विधा   कुण्डलिया :-
सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ ।
हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।।
रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते ।
व्याधि न आती एक , कष्ट सारे हर लेते ।।
भवसागर की राह , दिखाते कहकर बच्चा ।
कर लेते तुम काश , प्रेम इस जग से सच्चा ।।

राधा-राधा नाम का , कर ले बन्दे जाप ।
मिट जाये तेरे सभी , जीवन के संताप ।।
जीवन के संताप , हरे सब राधा माई ।
यह है दृढ़ विश्वास , न झोली खाली आई ।।
सही लगन से नाम , जाप जिसने है साधा ।
उसके ही दुख दूर  , करे माँ मेरी राधा ।।

राधा रानी खेलती , थाम कृष्ण का हाथ ।
सखी सहेली जीव सब , खेलें उनके साथ ।।
खेलें उनके साथ ,  निकट यमुना के तट पर ।
आया जो आनंद ,  सुनायें सखियां कहकर ।।
उन दोनो के बीच , न आये कोई बाधा ।
सखी कृष्ण के साथ , खेलती देखो राधा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा   कुण्डलिया :-
सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ ।
हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।।
रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते ।
व्याध
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