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Ramya Prabhu
ಕನವರಿಕೆಯಲೂ ನಿನ್ನೊಲವ ರಾಗ ಕೇಳುತಿರೆ ಕಷ್ಟಗಳೆಲ್ಲಾ ಇಷ್ಟಗಳಾಗಿ ನೆಮ್ಮದಿಯ ನಿದ್ರೆಗೆ ಜಾರಿರೇ ನಗುನಗುತ್ತ ಹಾಯಾಗಿ ನಿನ್ನ ಮಡಿಲಲಿ ಮಗುವಾಗಿ ಮಲಗಿದೆ ನನ್ನೊಲವೇ...... ©Ramya Prabhu #Yaari
Santosh Thakur
White अर्ज़ किया है की. आज जो मेरे किस्से में है वो कभी मेरे हिस्से में आया था, मिलने के बहाने भरी बारिश में वो मुझसे बिछड़ने आया था। ©Santosh Thakur #thakur ki shayari
#thakur ki shayari
read moreDrx. Mahesh Ruhil
White हम हैं जाट हमने लोगा की जला दी जिसके थी खाज थोड़ी btex लगा दी जिनके लगे थे दस्त चढ़ाई देख क न उनके पोरी पूरी फसा दी कायती होरा स देख बावला मारे कांड का न होवे मुक़ाबला मेहनत न देख रो वे कुछ फालतू जो न ना करे थे जब हमने वो गुरे पीछे त बात करने की आदत पुरानी बराबरी न हुई तो कॉमेंट आके वो रो रहे Tashan सारे हमारे स नायरे 100 बात की बात सारे के हम chahre अरे हम हैं जाट लोगा की जला दी जिसकी थी दिक्कत सारी मिटा दी जो जो रहे थे देख चढ़ाई न पोरी पूरी फसा दी india मैं रुका बोले था jaat का अब सारी दुनिया को दिखा दिए नजारे हर बात में पावे हम टॉप पे किस्मत हम जाट के घर पैदा होके आरे 6 6 फुटे छोरे हम गामा के फालतू बोलनिया की थोड़ी आंख min में सूजा दे चौड़ में रहवे खेत मे कड़े रह रेत में नीचे जितने उतने ऊपर रह प्राइवेट जेट में खून स गर्म न रखिए बुद्धि में कोई भ्रम कान पे एक मार लाल बना दे बस पहली बार मैं रखते थोड़ी शर्म अरे अरे हम हैं जाट लोग की जला दी जिसकी जलरी उसकी ओर जला दी दिक्कत सारी मिटा दी लागरे थे दस्त चढ़ाई देख जिसके पोरी पूरी फसा दी.. सिकाई करवा लियो र दिक्कत मिटवा लियो र पसीने त आग लगा दे हम बिना सिक के तेरी सुलगा दे हम कह दिए जमाने त जाट ह हम.... ©Drx. Mahesh Ruhil #jaat @jaat
Durga Gautam
एक शादी_शुदा स्त्री, जब किसी पुरूष से मिलती है उसे जाने अनजाने मे अपना दोस्त बनाती है तो वो जानती है की न तो वो उसकी हो सकती है और न ही वो उसका हो सकता है वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी नही चाहती.. फिर भी वह इस रिश्ते को वो अपने मन की चुनी डोर से बांध लेती है.... तो क्या वो इस समाज के नियमो को नही मानती? क्या वो अपने सीमा की दहलीज को नही जानती? जी नहीं वो समाज के नियमो को भी मानती है और अपने सीमा की दहलीज को भी जानती है मगर कुछ पल के लिए वो अपनी जिम्मेदारी भूल जाना चाहती है कुछ खट्टा... कुछ मीठा आपस मे बांटना चाहती है जो शायद कही और किसी के पास नही बांटा जा सकता है वो उस शख्स से कुछ एहसास बांटना चाहती है जो उसके मन के भीतर ही रह गए है कई सालों से थोडा हँसना चाहती है खिलखिलाना चाहती हैं वो चाहती है की कोई उसे भी समझे बिन कहे सारा दिन सबकी फिक्र करने वाली स्त्री चाहती है की कोई उसकी भी फिक्र करे... वो बस अपने मन की बात कहना चाहती है जो रिश्तो और जिम्मेदारी की डोर से आजाद हो कुछ पल बिताना चाहती है जिसमे न दूध उबलने की फिक्र हो,न राशन का जिक्र हो....न EMI की कोई तारीख हो आज क्या बनाना है, ना इसकी कोई तैयारी हो बस कुछ ऐसे ही मन की दो बातें करना चाहती है कभी उल्टी_सीधी ,बिना सर_पैर की बाते तो कभी छोटी सी हंसीओर कुछ पल की खुशी... बस इतना ही तो चाहती है आज शायद हर कोई इस रिश्ते से मुक्त एक दोस्त ढूंढता है जो जिम्मेदारी से मुक्त हो....❤️ ©Durga Gautam #Yaari
shrikant yadav
रिश्तों के उलझन में उलझे जग के सब नर नारी हैं, पर सुना है आज भी मित्रता सब रिश्तों पर भारी है। ©shrikant yadav #Yaari