Find the Latest Status about शोधू मी कुठे काशी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, शोधू मी कुठे काशी.
Kavi Avinash Chavan(युवा कवी)
मी अजुनी तुझाच आहे #युवाकवी #कवी_अविनाशचव्हाण #तुझावेडा #काळजातल्या_कविता #मराठीकविता
read moreप्रा.शिवाजी ना.वाघमारे
मी विकास. हसरा माझा चेहरा.. मधुर माझी वाणी आकाशवाणी वर असते माझी गाणी. ही विकासची कहाणी.! लेखनी माझी बहरदार विकासाची असते तिला धार.. स्वभाव माझा मन मिळावू नाते जोडतो मधूर वाणीत ते गुंफतो.! जय सावता जय ज्योती धर्म पाळतो. विकासाला नेहमीच सर्वोपरी मानतो..! दोन रत्न माझे श्री शाम मुखी त्यांच्या वसे राम.. हसमूख माझी रंजना सोबतीला माझ्या जशी पार्वती शिवला.! अशा मी विकास नेहमी हसत आनंदात....! ©प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे मी विकास
मी विकास #Shayari
read moreKavi Avinash Chavan(युवा कवी)
कशास भिती त्या जखमांची, माझे प्रेम वेदनेवर आहे. नका सजावू चिता ही माझी, मी आधीच जळलो आहे.. #युवाकवी #मराठीकविता
read moreKavi Avinash Chavan(युवा कवी)
प्रेमात मागतो मी माझीच राख थोडी, देवून टाक माझ्या चितेस आग थोडी.. #युवाकवी #मराठीकविता
read moreSKgujjarchauhan
#काशी #कैलाश जो ना जा #पाया कोई #बात नहीं #बंदे #एसकेहरियाणा #शायरीदिलसेनिकलीहुई भक्ति गीत भक्ति भजन भक्ति वीडियो हर हर महादेव भक्ति गाना
read moreBhavesh
बहुत तकलीफ़ में हू प्लीज हेल्प मी जितना हो सके उतना हेल्प 9664722717 गूगल पे फोनपे नंबर 1 2 3 4 5 10 20 50 जितना हो सके प्लीज लास्ट लास् #विचार
read moreअदनासा-
Nitish Kumar Mishra "योद्धा युग"
मस्तक शोभित जिसके चंद्र हैं जटाओं में विराजित जिसके गंग हैं, आभूषण जिसका सर्प, मुंड माल हैं स्थल उसका कैलाश पर्वत जों विशाल हैं वस्त्र जिसका सिंह छाल हैं, मुठ्ठी में जिसके तीनों काल हैं, वहीं नीलकंठ वहीं महाकाल हैं, काशी में विश्वनाथ तों सौराष्ट्र में वो ही "सोमनाथ" हैं। ©Nitish Kumar Mishra "योद्धा युग" मस्तक शोभित जिसके चंद्र हैं जटाओं में विराजित जिसके गंग हैं, आभूषण जिसका सर्प, मुंड माल हैं स्थल उसका कैलाश पर्वत जों विशाल हैं वस्त्र जिसक
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White कुण्डलियाँ कंकर-कंकर में वही , शंकर जिनका नाम । देवों के वह देव हैं , घट-घट उनका धाम ।। घट-घट उनका धाम , वही देखो अविनाशी । नगर बसाये एक , नाम जिसका है काशी ।। करो अर्घ्य स्वीकार, कहाँ हो हे शिवशंकर । हम तो जाने आप , बसे हो कंकर-कंकर ।। भोले बाबा आज तो , आओ घर मजदूर । खोज-खोज हम थक गये , हुए आज मजबूर ।। हुए आज मजबूर , कहाँ हो बाबा नन्दी । तुम बतलाओ आज , सोच क्या अपनी गन्दी ।। हम तो उनके भक्त , नाम शिव-शिव ही बोले । पर हमसे ही रूष्ट , छुपे बैठे हैं भोले ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलियाँ कंकर-कंकर में वही , शंकर जिनका नाम । देवों के वह देव हैं , घट-घट उनका धाम ।। घट-घट उनका धाम , वही देखो अविनाशी ।
कुण्डलियाँ कंकर-कंकर में वही , शंकर जिनका नाम । देवों के वह देव हैं , घट-घट उनका धाम ।। घट-घट उनका धाम , वही देखो अविनाशी । #कविता
read more