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Nehu Dee.kalam
White किसी ऐंसें व्यक्ति को अलविदा कहना बहुत कष्टकारी होता है ,,, जिसे हम हमेंशा अपने साथ देखना चाहते हैं......... लेकिन उससे भी कष्टदायक है ,, किसी को रुकने के लिए कहना.... जबकि हमें हो पता है की ,वो जाना चाहता है। ।।। ©Nehu Dee.kalam #वो #एक #मेरा ,, जो मेरा ना होकर भी सिर्फ मेरा है।।।
Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी सब जीवों पर करुणा दया ही जीवन की सारभौमिक्ता है शाकाहार पनपे जग में निरीह और मूक प्राणी को मांसाहारीयो से बचाना है नामीबिया के सूखे का संकट घोषणा पशुओं के कत्ल की सरकारी है जैन समाज की पहल,मदद वहाँ पहुँचती है वहाँ की सरकार अपना आदेश वापस करती है उठ खड़े हो जाये सारे समाज और धर्म माँसाहार बंद कर,पशुओं पक्षियों के प्राणों की रक्षा हो सकती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Sad_Status शाकाहार पनपे जग में, मूक प्राणी भी जीवित रह पाये #nojotohindi
#Sad_Status शाकाहार पनपे जग में, मूक प्राणी भी जीवित रह पाये #nojotohindi #कविता
read moreUrmeela Raikwar (parihar)
White ऐसा कुछ क्या है जो तू मैरे पास होकर भी दूर है ,,,,, ©Urmeela Raikwar (parihar) #love_shayari पास होकर भी दूर
#love_shayari पास होकर भी दूर #लव
read moreबाबा ब्राऊनबियर्ड
मन्ने मोहब्बत म्ह आरक्षण चाहिए ... मैं शक्ल से पिछड़ा हूँ ©बाबा ब्राऊनबियर्ड शायद हरकतों से भी !
शायद हरकतों से भी ! #Life
read moredeepmala kumari
White जो आप सोचते हो वह कभी नहीं होता है ©deepmala kumari #Ganesh_chaturthi #जग#
#Ganesh_chaturthi #जग# #Motivational
read moreBazirao Ashish
एक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। •आशीष द्विवेदी ©Bazirao Ashish एक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक बा
एक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक बा #Poetry
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में , इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष #कविता
read moreRameshkumar Mehra Mehra
White उसके इंतजार में गुजार दी.......... जिंदगी हमने यू ही....! इत्तफाक से बो मिली तो....!! किसी और की होकर..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # उसके इंतजार मे गुजार दी,जिंदगी हमने यू ही,इतफाक से बो मिली भी तो,किसी और की होकर....
# उसके इंतजार मे गुजार दी,जिंदगी हमने यू ही,इतफाक से बो मिली भी तो,किसी और की होकर.... #Quotes
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी ज्ञान का सूरज,गुरु के चरणों मे यथार्थ जग का बताते है उच्चतम सीमा हर बस्तु की हद की रेखा खींचकर बताते है योग भोग का परिमाण कितना है जीवन का सार बताते है आनन्द की अनुभूतियों कराकर परमात्म पद तक ले जाते है संचालन समाज देश का करते भविष्य की दिशा के अनुगामी होते है विरासत और संस्कृति की हिफाजत करते गूढ़ रहस्यो का उदघाटन करते उन गुरु के तप और प्रताप से ही जग में अहिंसा और करुणा के फूल खिलते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #guru_purnima उनके के प्रताप से ही जग में अहिँसा और करुणा के फूल खिलते है #nojotohindi
#guru_purnima उनके के प्रताप से ही जग में अहिँसा और करुणा के फूल खिलते है #nojotohindi #कविता
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