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Gurwinder Dhillon
White कभी होता नहीं मुकम्मल सफर महुब्बत की राहों का कितने ही अशीक हो गये फना इस इश्क़ की राहों पर ©Gurwinder Dhillon #इश्क
Ramnik
White किसी ने पूछा दिल क्या दर्द क्या होता है... कुछ नहीं कुछ बोझल सा लगता है। क्या है लफ्जों में समझ नही आता। दो आंसू सकूं दे जाते है। खोया किसी ने हो, दिल में वहीं टीस दे जाते है.. ©Ramnik #दिल का दर्द
#दिल का दर्द
read moreRajesh Kumar
दिल में इतना दर्द है कि मैं कह नहीं सकता दर्द ने हद पार किया अब मैं सह नहीं सकता याद करता हूं मैं जब तेरी बातों को पल भर में काटता हूं लंबी रातों को तू ही मेरी धड़कन है तू ही मेरी सांस है दूर होके भी लगती है तू मेरे पास है एक पल भी तेरे बिन अब मैं रह नहीं सकता दर्द में हद पार किया अब मैं सह नहीं सकता दिल में इतना दर्द है कि मैं कह नहीं सकता दर्द ने हद पार किया अब मैं सह नहीं सकता ©Rajesh Kumar मेरे दिल का दर्द तुम क्या जानोगे
मेरे दिल का दर्द तुम क्या जानोगे
read moreJaseem Ali
इश्क कभी सच्ची नहीं होती ♡💔__sad _brokenheart _love _प्यार _broken _😭😭 शेरो शायरी शायरी दर्द 'दर्द भरी शायरी' शायरी हिंदी में
read moreVk srivastav
White दर्द बस इश्क में नही मिलता ख़ूब हो जाए कोई खास यही काफी है मैं अपने ज़ख़्म किसी को नही दिखाता मगर आपको हो गया एहसास यही काफी है ©Vk srivastav दर्द बस इश्क में नही मिलता #शायरी # hindi shayari# motivational shayari# shayari on life#vksrivastav
दर्द बस इश्क में नही मिलता #शायरी # hindi shayari# motivational shayari# shayari on lifevksrivastav
read morerahulyadav_0ah
White थोड़ा थोड़ा करके बहुत ज्यादा करीब हो गया हु तुमसे ©rahulyadav_0ah इश्क
इश्क
read moreGhanshyam Ratre
White आसमां के अनगिनता ये चमकते जगमगाते सितारे हैं। हर पल बसा आंखों में आपके मुस्कुराते चेहरे हैं।। जाने जहां आपके बिना हमारे जिंदगी ही अधूरे हैं। आपके जुदाई से अब आपके यादें ही जीने के सहारे हैं।। ©Ghanshyam Ratre दिल में दर्द का ऐहसास
दिल में दर्द का ऐहसास
read moreBajinder Thakur
वह जो दिल के करीब थी उसके पत्थर भी फूल थे थाने जाकर पता लगा इश्क के भी असूल थे ©Bajinder Thakur इश्क
इश्क
read morenisha Kharatshinde
जगा अन् जगूद्या सध्या पन्नाशीही पार करणे खूप अवघड झालंय अन् आत्महत्या करणे अगदी सोपं झालंय पंचवीस वर्षाच्या नात्याला किंमत राहिली नाही दोन वर्षाच्या प्रेमासाठी कुणी आईचाही उरला नाही त्या रागापुढे सर्वच शून्य अहंकाराने डाव साधला वेदनांनी आवाज न करता भावनांचा गळा घोटला दुनियेचं हसू होईल अन् इज्जतीचा पंचनामा समजून घेऊ जग म्हणतं अन् पडद्याआडून जाहीरनामा इथं कुणी कुणाची निंदा करते स्तुती मात्र क्वचित तिरस्काराने एकमेकांच्या संपली माणुसकीही निश्र्चित अफवांवर पांघरुण घालणारे पडतात फसवणुकीत बळी माहेर आहेर संपलय आता जन्मत:च खुंटते कळी जगा अन् जगूद्या सर्वा या महामारीच्या परिस्थितीत अत्यल्प आयुष्य उरलय बदल करा मनस्थितीत ✍️ निशा खरात/शिंदे (काव्यनिश) ©nisha Kharatshinde जगा अन् जगू द्या
जगा अन् जगू द्या
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