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Ganesh Din Pal
White इंसान समय से पहले बूढ़ा हो जाए तो समझ लेना उसे अपनों ने और अपनी जिंदगी ने बहुत दुख दिए हैं, जब वह किसी के लिए रात दिन खटता है और फिर सुनने को मिलता है कि तुमने मेरे लिए किया ही क्या ? बस यही बातें उसे दिन-ब-दिन दीमक की तरह खाने लगती हैं। ©Ganesh Din Pal #इंसान बूढ़ा क्यों होता है
#इंसान बूढ़ा क्यों होता है
read moreneelu
White कहानी कौन कह रहा है इससे ज्यादा ज़रूरी है ..कि क्यों कह रहा है ©neelu #Sad_Status #कहानी कौन #कह रहा है इससे #ज्यादा #ज़रूरी है ..कि #क्यों कह रहा है
katha Darshan
White Maturity is not when we start speaking big things. It is when we start understanding small things. ©katha Darshan #Nojoto नाराज़ क्यों करना है ! Katha Darshan
नाराज़ क्यों करना है ! Katha Darshan
read moreAshvani Kumar
छोड़ दिया टहलना गली-मोहल्लों में, इश्क भी अब तो डिजिटल हो गया है। कौन करता है अब बातें रूह की, अब सब कुछ फिज़िकल हो गया है। अब नहीं उमड़ते हैं जज़्बात चिट्ठियों में, जमाना कुछ ज्यादा ही प्रैक्टिकल हो गया है। किस्से कहानियों में मैजिक नहीं अब, अब तो सोचना भी लॉजिकल हो गया है। जमकर इस्तेमाल करेंगे दिमाग वाले तेरा, ऐ दिल तू क्यों इतना इमोशनल हो गया है। ©Ashvani Kumar ऐ दिल तू क्यों इतना इमोशनल हो गया है
ऐ दिल तू क्यों इतना इमोशनल हो गया है
read moreGeeta Sharma
एक घोंसला कैसे बनता है ✍️ video #GoodMorning #whatsappstatus #motivationvideo #viral #fullscreen #EXPLORE
read moreRavinder Kumar
तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.. सुना है तू इस संसार के हर जरें में रहता है, फिर ज़मीन पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है.. जब रहने वाले दुनिया के हर बन्दे तेरे हैं, फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है तू ही लिखता है हर किसी का मुकद्दर, फिर कोई बदनसीब, और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है ....! @motivate_line ©Ravinder Kumar #Exploration बहुत शानदार लाइन तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.. सुना है तू इस संसार के हर
#Exploration बहुत शानदार लाइन तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.. सुना है तू इस संसार के हर
read moreDev Rishi
जातें शक्ल में छोड़ती कुछ सांसें थी... आंखों से सुनती सांसें.. पलकें झपकाती थीं.., उससे गुज़ारिश कि, शायद सुन ले ज़रा.... सालों हो चुकें... एक झलक दिखा दो ज़रा..!! ©Dev Rishi शेरो शायरी# तेरी याद.. फिर क्यों आई है.!!
शेरो शायरी# तेरी याद.. फिर क्यों आई है.!!
read moreGoluBabu
धर्म को रंग से नहीं जोड़ा जाता धर्म तो कम से बनता है और कर्म संस्कार से बनता है Bhakti santrampaljimaharaj
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