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DANVEER SINGH DUNIYA
White अगर है मोहब्बत तो इजहार ना कर चाह ले कितना भी बदनाम ना कर दुःख इतने दिए कि कह ना सकूं मैं पूरी होगी कमी तो परेशान ना कर ©DANVEER SINGH DUNIYA #love_shayari क्या कहूं और
#love_shayari क्या कहूं और
read moreDANVEER SINGH DUNIYA
Sad quotes in hindi जब चाहों ना जब आजमा लेना तुम पैसे छोड़कर कुछ भी मांग लेना तुम खुदा ने भी मुझे गरीबी हालात दे दी गर्ज में रुह से दिल निकाल लेना तुम ©DANVEER SINGH DUNIYA सच सामने
सच सामने
read morePahadi Shayar
फूल सी उसकी मुस्कराहट मे डूब गया जग सारा ©Pahadi Shayar Jd #प्यार #सच #लव
Roopsingh Doi
खामोश चेहरों पर भी बगावत आ जाती है जब सहन करते करते बात सिर पर आ जाती है रूपसिंह गुर्जर ©Roopsingh Gurjar सच बात
सच बात
read moreaapki_adhuri_baten
White #सुनो कोई एक चेहरा भला कब तक देखे आईने में, सच कहूं तो मेरा खुद से भी दिल भर गया हैं.. #Radha ©aapki_adhuri_baten #good_night #सुनो कोई एक चेहरा भला कब तक देखे आईने में, सच कहूं तो मेरा खुद से भी दिल भर गया हैं.. #Radha
#good_night #सुनो कोई एक चेहरा भला कब तक देखे आईने में, सच कहूं तो मेरा खुद से भी दिल भर गया हैं.. #Radha
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था। तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।" जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे। फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?" लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ ChatGPT can make ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
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