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Stories related to निराश

N S Yadav GoldMine

#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} केवल व्यक्ति ही रोता हुआ आता है, रोता हुआ जीवन जीता है, हमेशा शिकायत करता रहता है, और निराश रहता हुआ मर

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
केवल व्यक्ति ही रोता हुआ आता
है, रोता हुआ जीवन जीता है,
हमेशा शिकायत करता रहता है,
और निराश रहता हुआ मर जाता है,
निरास होकर ऐसे मर जाता है,
जैसे भगवान ने कृपा गलत कर दी।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine #good_night {Bolo Ji Radhey Radhey}
केवल व्यक्ति ही रोता हुआ आता
है, रोता हुआ जीवन जीता है,
हमेशा शिकायत करता रहता है,
और निराश रहता हुआ मर

SohrabAlam

जिंदगी मे कभी निराश मत होना मेरे दोस्त 💯👍❤️🪔 #SAD #trendingreels #Instagram #viral #Broken #dost #hindipoetry #Reels

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love you zindagi

White असफल व्यक्ति अहंकार से नहीं 
अनुभवों से भरा होता ..!!


@वकील साहब ✍️

©love you zindagi #Sad_shayri #sad #असफलता #निराशा #अनुभव

Mohan raj

#Life Lessons निराशः भवितुं स्वस्य दुःखस्य आमन्त्रणं इव भवति।

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White 
निराशः भवितुं स्वस्य दुःखस्य आमन्त्रणं इव भवति।
निराश होना अपने दुःख को खुद आमंत्रित करने जैसा है,।
Being disappointed is like inviting your own suffering,
धन्यवाद हर हर महादेव

©Mohan raj #Life Lessons निराशः भवितुं स्वस्य दुःखस्य आमन्त्रणं इव भवति।

THE VIKRANT RAJLIWAL SHOW

मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स हिंदी Entrance examination मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्सजिसमें सूचना: Vikrant Rajliwal

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जिसमें तीन टी-शर्ट फाड़ने का दृश्य था, विक्रांत की छोटी उंगली में हल्की चोट लग गई थी। 

हालांकि, अब उनकी उंगली पहले से पूरी तरह ठीक हो गई है और जल्द ही फिटनेस ब्लॉग और वीडियो भी आपके सामने प्रस्तुत किए जाएंगे।

आपके धैर्य और समर्थन के लिए धन्यवाद।

सादर,  
विक्रांत राजलीवाल

#VikrantRajliwal #FitnessGoals #TshirtPhadneKaScene #FitnessMotivation #WorkoutJourney #StayTuned #FitnessVlog #FitnessUpdate #ComingSoon #VikrantRajliwalShaktiKendra #StayHealthy #StayStrong

©Vikrant Rajliwal  मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स हिंदी Entrance examination मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्सजिसमें सूचना: Vikrant Rajliwal

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून

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दोहा :-
करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार ।
हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।।
कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार ।
कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।।
कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार ।
जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।।
कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम ।
तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।।
रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल ।
रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।।
आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो  फर्क ।
मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।।
जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश ।
कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।।
जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात ।
वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।।
मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद ।
तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।।
मातु-पिता हर से कहे,  प्रखर जोड़ कर हाथ ।
अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।।
मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान ।
जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।।
तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव ।
वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।।
मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार ।
पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।।
मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान ।
उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार ।
हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।।
कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार ।
कहीं पान दातून

person

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

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गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. 
 
उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. 
 
भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

©person गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?

यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

Prakash writer05

मेरा #गांव अब उदास रहता है.. ✍️ लड़के जितने भी थे मेरे गांव में। जो बैठते थे दोपहर को आम की छांव में। बड़ी रौनक हुआ करती थी जिनसे घर में

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