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दिवाली की सफाई में थोड़ी मन की सफाई हो जाए रावण को जलाने से पहले अपना खुद का द्वेष, ईष्या भंग हो जाए। दिवाली की मिठाई के साथ-साथ अपने अंदर क #Diwali #ravan #विचार #hindithoughts #hindilines #diwaliwishes #thoughtsoflife #happydiwali🧨 #thoughtsinhindi #diwalivibes✨ #festivevibe

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन् #कविता

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गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- रूठ गई हैं राधिका, कृष्ण करें मनुहार । लगा रहे हैं केश में , वो फूलों का हार ।। यमुना तट पर बैठकर , रचा रहे हैं रास । आ बैठी हैं राध #कविता

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दोहा :-
रूठ गई हैं राधिका, कृष्ण करें मनुहार ।
लगा रहे हैं केश में , वो फूलों का हार ।।
यमुना तट पर बैठकर , रचा रहे हैं रास ।
आ बैठी हैं राधिका , देखो उनके पास ।।
अब तक जिनके प्रेम का , प्रकृति देखती बाट ।
वे तो राधेश्याम हैं , उनकी ऊँची ठाट ।।
उस ग्वाले की प्रीति को , जान रहा संसार ।
जिसे पूजता है जगत, कहकर पालन हार ।।
ग्वाले जैसा फिर कहाँ, दिया किसी ने ज्ञान ।
जिसको सुनकर देख लो , हुए धन्य इंसान ।।
छोड़ द्वेष की भावना , करे मनुज भी रास ।
क्यों ऐसा दिखता नही , पूछ रहा यह दास ।।
रास रचाकर आप क्यों , करते उनसे आस ।
यही नेह मानव करे ,  बन कर तेरा  दास ।।
नाग पंचमी पर्व का , सुन लो बहुत महत्व ।
पढ़कर वेद पुराण को , जानो इसका तत्व ।।
मानों तो संसार में , पूज्य सभी हैं जीव ।
तभी सनातन धर्म में , हैं यह बहुत अतीव ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
रूठ गई हैं राधिका, कृष्ण करें मनुहार ।
लगा रहे हैं केश में , वो फूलों का हार ।।
यमुना तट पर बैठकर , रचा रहे हैं रास ।
आ बैठी हैं राध

Ankur tiwari

#Indian_flag क्या मजहब क्या जाति धर्म क्या दंगो की औकात हैं सबसे ऊपर है देश धर्म वेदों में लिखी यह बात हैं जन गण मन का ध्यान करों छल दंभ द #Poetry

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White क्या मजहब क्या जाति धर्म क्या दंगो की औकात हैं 
सबसे ऊपर है देश धर्म वेदों में लिखी यह बात हैं 
जन गण मन का ध्यान करों छल दंभ द्वेष से दूर रहो
ना भटको अपने लक्ष्यों से खुद से इतना तो धीर धरो 
लक्ष्मी बाई का देश है यह जो अंग्रेजो से बाज गई 
दे दी आहुति खुद की और ले वीरगति का ताज गई 
देखो मंगल को जिसने सत्तावन में मंगल गान किया 
देश की खातिर बिस्मिल ने न्योछावर अपनी जान किया 
जफर बहादुर तात्या के जीवन से कुछ तो ग्रहण करो 
गर मिले नही अधिकार तुम्हे तो तिलक सा तुम अधिग्रहण करो 
आज़ाद भगत और राजगुरु के गुण हैं तुममें भी ये याद रखो 
जब देश धर्म की बात हो तो हम भारतीय हैं यह याद रखो
नेता सुभाष से हो सकते हो हो सकते हमीद से तोप तुम्हीं 
राणा प्रताप सा जी लेना न जीना बनकर गुलाम कभी 
तब जाके विजयी विश्व तिरंगा प्यारा का सपना साकार हो पायेगा 
जब तक धरती और चांद रहेगा तिरंगा अपना आसमान में लहराएगा
अंकुर तिवारी

©Ankur tiwari #Indian_flag क्या मजहब क्या जाति धर्म क्या दंगो की औकात हैं 
सबसे ऊपर है देश धर्म वेदों में लिखी यह बात हैं 
जन गण मन का ध्यान करों छल दंभ द
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