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Rakesh frnds4ever
White क्यों ये दुनिया रोने नहीं देती क्यों ये दुनिया सोने नहीं देती जब अपना यहां कोई नहीं तो क्यों ये किसी को अपना होने नहीं देती जूठे अपनों के जूठे अपनेपन से क्यों ये दुनिया खुद को अपना होने नहीं देती,,, क्यों ये दुनिया रोने नहीं देती क्यों ये दुनिया सोने नहीं देती देती हैं,,,,, जुल्म नफरत जिल्लत ज़हालत ,,, क्रूरता दमन दहशत,,, दुख दर्द पीड़ा तकलीफ कष्ट,,,,अत्याचार परेशानी ,,,घिनौनापन और मक्कारी छीन लेती है,,,,, दया धर्म कर्म इच्छा आशा अभिलाषा ,,सुख सुविधा प्रसन्नता दिलासा,,, सादगी ताजगी प्यार दुलार,,, चैन सब्र करार इकरार,, स्नेह समर्पण त्याग सहयोग राग अनुराग ओर जीवन की परिभाषा,,,, क्यों क्यों क्यों ये दुनिया जीने नहीं देती क्यों ये दुनिया मरने नहीं देती.....२..... ©Rakesh frnds4ever #क्यों_ये_दुनिया_रोने_नहीं_देती #क्यों_ये_दुनिया_सोने_नहीं_देती जब #अपना यहां कोई नहीं तो क्यों ये किसी को अपना होने नहीं देती जूठे अपनों
#क्यों_ये_दुनिया_रोने_नहीं_देती #क्यों_ये_दुनिया_सोने_नहीं_देती जब #अपना यहां कोई नहीं तो क्यों ये किसी को अपना होने नहीं देती जूठे अपनों
read moreHeer
प्रेम को समझना हर किसी के बस की बात नहीं..... सच्चा प्रेम किसे कहते है ये सिखाने ही तो राधा कृष्ण मनुष्य रूप में धरा पर अवतरित हुए थे। हम म
read moreAnjali Singhal
"ख़ूबसूरती की क्या होती है परिभाषा, इसका तो पता नहीं! पर हाँ... उन्हें चाहने में दिल ख़ूबसूरत हो गया हमारा, इतना तो है यकीं!!" AnjaliSingh
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White दोहा :- विषय हिंदी हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।। गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार । हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।। वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार । बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।। कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार । तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।। हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद । गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द । हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान । हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।। सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार । आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।। हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान । ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- विषय हिंदी हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब
दोहा :- विषय हिंदी हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब
read moreOfficial vishwajeet Yadav
भगवती विंध्यवासिनी के बारे में कुछ खास बातेंः  विंध्यवासिनी को विंध्याचल की देवी भी कहा जाता है. विंध्यवासिनी को आदि शक्ति माना जाता
read moreSatish Kumar Meena
स्त्री की परिभाषा सही मायने में यह है कि अपने सामर्थ्य से सहनशीलता के साथ अपनों के सेवाभाव में प्रगति के पथ पर लक्ष्मी जी की तरह परिवार का उत्थान करें वो स्त्री है। ©Satish Kumar Meena स्त्री की परिभाषा
स्त्री की परिभाषा
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