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शुभम मिश्र बेलौरा

#good_night paper leak

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White सरकार बनी बेचारी है -२
पेपर लीक कराने वाले ठेके सब सरकारी हैं,
सरकार बनी बेचारी है-२
Term बदलकर मंत्री जी फिर से सत्ता में आए,
कोई अच्छा काम नहीं बस पेपर रद्द कराए।
भर्ती के खातिर पहले हम रोते और चिल्लाते,  
उसे बचाने के खातिर सड़कों पर लाठी खाते। 
100 दिन के एजेंडे की दिखती कैसी तैयारी है,
पेपर लीक कराने वाले ठेके सब सरकारी हैं,
सरकार बनी बेचारी है -२
56 इंच के सीने वाले कैसे चुप्पी साधे हैं, 
अपनी कुर्सी बची रहे बाकी सब राधे राधे है। 
कुछ तो बोलो मुंह को खोलो इटली अब मत जाओ जी,
युवा सड़क पर चीख रहा है थोड़ा शर्म तो खाओ जी। 
देश के चोरी में शामिल दिखती अब चौकीदारी है,
पेपर लीक कराने वाले ठेके सब सरकारी हैं,
सरकार बनी बेचारी है -२

©शुभम मिश्र बेलौरा #good_night paper leak

maruti

lov e

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Nurul Shabd

#चुनौती #का #सामना दोस्ती शायरी लव शायरी हिंदी में शायरी हिंदी

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Raghav Trivedi

reading-burning-paperreading-burning-paper wsad song

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Sam

#taqdeer e kismat

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Dr.Govind Hersal

मेरे आराध्य शब्दों को लोगों तक पहुँचाना था 
कागज़ से बेहतर फिर कहाँ कोई ठिकाना था ।

©Dr.Govind Hersal #shabd #Devotional #paper #words #Life #writing

Tafizul Sambalpuri

#paper

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ମୁଁ କିଛି ଲେଖେ ବୋଲି 
ସମସ୍ତେ ଭାବନ୍ତି
ମୁଁ ଖୁବ୍ କାନ୍ଦେ ବୋଲି 
ସମସ୍ତେ କହନ୍ତି 
ହେଲେ ଏ ସମସ୍ତ ଶବ୍ଦତ ତୁମର
ଏ ଲୁହ ମଧ୍ୟ ତୁମର
ମୁଁ କେବଳ ତାକୁ ସଂଗ୍ରହ କରିଛି
ମୋ ହୃଦୟର ସାଧା କାଗଜରେ 
ମୋ ଚକ୍ଷୁ କରୋଡରେ
ତୁମକୁ ଓ ତୁମ ଅଥୟ ଭାବନାକୁ
ବାରମ୍ବାର ପଢ଼ିବା ପରେ 
ସେଥିରେ ଥିବା ସମସ୍ତ ପ୍ରଶ୍ନକୁ
ତର୍ଜମା ପରେ ଉତ୍ତର ରଖିଛି
ଏଠି ମୋର ବୋଲି କିଛି ନାହିଁ 
ସବୁତକ କେବଳ ତୁମର
ମୁଁ କ'ଣ ମୋ ପାଇଁ କିଛି ଲେଖିପାରେ
ମୁଁ ମୋ ପାଇଁ ନା ହସିପାରେ
ମୁଁ ମୋ ପାଇଁ ନା କାନ୍ଦିପାରେ
ହଁ ମୁଁ ମତେ ଏଇତ ଚିହ୍ନଟ କରିଛି 
ତୁମର ଗୁଡ଼ାଏ ଜଟିଳ ପ୍ରଶ୍ନ ମଧ୍ୟରୁ 
ଓହ୍ଲେଇ ଦେଉଛି ସମସ୍ତ ଆଶଙ୍କାକୁ
ମୋ ଶରୀରରୁ ଗୋଟି ଗୋଟି କରି
ଯାହା ତୁମକୁ ଆଶଙ୍କିତ କରୁଛି 
ଦେଖ ମୁଁ ଏବେ ଗୋଟିଏ ସାଦା କାଗଜ
ଯେଉଁଥିରେ ଲେଖା ହେବ ଏମିତି 
ଅସଂଖ୍ୟ କାହାଣୀ, କବିତା ଓ ଗଳ୍ପ 
ଯାହା ସବୁତକ କେବଳ ତୁମର ।।

©Tafizul Sambalpuri #paper

Jitender Sharma

#GoldenHour सच से सामना

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आकर रुक गया मैं एक किनारे पर  चलते हुए
जहां तक नजर जा सकती थी देखता गया 
भीड़ भरे इस जहां में कितना तन्हा पाया खुद को
आंखें बंद करके सुनता रहा सन्नाटे का शोर
 मन के भीतर जो उत्पात मचा रखा था एहसासों ने कि तू सबके लिए खड़ा था पर ,तेरे कोई साथ न आया
आंख खोली तो सच से सामना हुआ 
खुद को झूठी तसल्ली देने की आदत वहीं छोड़ आया

वो बैचेनी जो होती थी खामखा 
वो बेफिजूल से अरमान दिल के
सब दिल से निकाल कर फेंक आया 
खुद से ही जंग लड़ रहा हूं हर रोज
अनजान था जिंदगी के मायने समझने से
जब खुद को जाना तो सब समझ आया
भीड़ भरे इस जहां में मैंने खुद को कितना तन्हा पाया

©Jitender Sharma #GoldenHour सच से सामना

Mereena

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Yash Joshi

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