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बेजुबान शायर shivkumar
वो अपना दौलत-शौरत के लिए इंसान क्या कुछ भी नही कर रहा, कल तक जो बेच रहा था अपना ये समान क्या वो कम थे जो आज वो अपना ईमान अपने हाथ से भी बेचने लगा । वह रे इंसान 🕴🏼👬 ©बेजुबान शायर shivkumar वो अपना #दौलत -शौरत के लिए #इंसान क्या कुछ भी नही कर रहा, कल तक जो #बेच रहा था अपना ये #समान क्या वो कम थे जो आज वो अपना #ईमान अपने #हा
Shivkumar barman
वो अपना दौलत-शौरत के लिए इंसान क्या कुछ भी नही कर रहा, कल तक जो बेच रहा था अपना ये समान क्या वो कम थे जो आज वो अपना ईमान अपने हाथ से भी बेचने लगा । वह रे इंसान 🕴🏼👬 ©Shivkumar barman वो अपना #दौलत -#शौरत के लिए #इंसान क्या कुछ भी नही कर रहा, कल तक जो बेच रहा था अपना ये समान क्या वो कम थे जो आज वो अपना #ईमान अपने हाथ से
नवनीत ठाकुर
White हम समझे थे मिलेगा सहारा उसकी वफ़ा के साए में, वो सौदागर निकला, बेच आया मोहब्बत बाजार में कीमत जानकर। दिल लगाया था हमने बेइंतहा चाहत से, वो जल्दी में था,चढ़ गया हमें बस एक सीढ़ी मानकर। हम तड़पते रहे उसकी यादों के सिलसिले में, उसने आह भी न की, वो खुश था नए रिश्तों की चादर ओढ़कर। ©Navneet Thakur #हम समझे थे मिलेगा सहारा उसकी वफ़ा के साए में, वो सौदागर निकला, बेच आया मोहब्बत बाजार में कीमत जानकर। दिल लगाया था हमने बेइंतहा चाहत से, व
#हम समझे थे मिलेगा सहारा उसकी वफ़ा के साए में, वो सौदागर निकला, बेच आया मोहब्बत बाजार में कीमत जानकर। दिल लगाया था हमने बेइंतहा चाहत से, व
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल मौत थीं सामने ज़िन्दगी चुप रही दर्द के दौर मैं हर खुशी चुप रही जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को बंद आँखें वही मुखबिरी चुप रही दीन ईमान वो बेच खाते रहे जिनके आगे मेरी बोलती चुप रही बोलियां जो बहुत बोलते थे यहाँ उन पे कोयल की जादूगरी चुप रही वो जो मरकर जियें या वो जीकर मरें देखकर यह बुरी त्रासदी चुप रही ।। बाढ़ में ढ़ह गये गाँव घर और पुल । और टेबल पे फ़ाइल पड़ी चुप रही ।। देखकर ख़ार को हम भी खामोश थे । जो मिली थी प्रखर वो खुशी चुप रही ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल मौत थीं सामने ज़िन्दगी चुप रही दर्द के दौर मैं हर खुशी चुप रही जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को बंद आँखें वही मुखबिरी चुप रही
ग़ज़ल मौत थीं सामने ज़िन्दगी चुप रही दर्द के दौर मैं हर खुशी चुप रही जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को बंद आँखें वही मुखबिरी चुप रही
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