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Arjun Negi
White बिछड़ने की वजह" मैं था बसंत का इक फूल खिला, तेरी राहों में खुशबू सा मिला। मगर जड़ें मेरी कमज़ोर थीं, सूखी मिट्टी से चिपकी, बेजोर थीं। मैं इक सूखा दरिया, एक बेजान परिंदा, खो चुका अपनी राह, बेसहारा सा जिन्दा। कभी था मैं बाग़, हरियाली की तरह, अब हूँ सिर्फ़ एक परछाईं, बेजान सी क़ब्र। तू है सवेरा, उजाला, नर्म धूप का एहसास, और मैं अंधेरा, डूबता, टूटता सा विश्वास। तेरी रोशनी का भार मैं न सह पाऊँगा, एक जंगली पौधा बन के, खुद को ही खो जाऊँगा। इसलिए छोड़ चला, बेवफ़ाई नहीं है ये, बस मेरा ही दर्द है, जो मुझे घेरे है। तू खिल, बस महकना, बिन मेरी बेड़ियाँ— जैसे सर्दियों में, कली खिली बग़ैर खामियाँ। ©Arjun Negi #Sad_Status #Uttarakhand #Chamoli
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White रात का आलम गहरा है, चांद भी है खोया, उसकी यादें आती हैं, मन को किया भिगोया। सितारों की चमक में भी, उसकी कमी महसूस हो, उसके बिना ये सन्नाटा, कितना तन्हा और खोखला हो। उसकी हँसी की खनक, जैसे कोई मीठी लहर, अब रात में उसकी यादें, करती हैं मुझे बेकरार। हर पल उसका साथ था, अब है सिर्फ ख़ामोशी, उसकी मौजूदगी का एहसास, अब बन गई है रोशनी। बिना उसके ये रातें, लगती हैं वीरान, दिल को उसकी चाहत, हर रात करती है परेशान। रात की चादर में लिपटी, उसकी यादें आती हैं, उसकी कमी को महसूस कर, आँखें मेरी भर जाती हैं। ©Arjun Negi #Peom #Uttarakhand #Night
शुभम मिश्र बेलौरा
White सपने में खूब आता है गांव अब हमारे, यादों में आते रहते गांवों के वो नजारे, सपने में खूब आता है गांव अब हमारे। फूलों का यूं महकना पक्षी का चहचहाना। उठते ही देर सुबह दादा से गाली खाना। फिर बैठ नाश्ते पर सब चाय पानी पीते, चेहरे पे लिए मुस्की खुशहाली खूब जीते। मुझको बुला रहे हैं नदियों के वो किनारे, सपने में खूब आता है गांव अब हमारे, यादों में आते रहते गांवों के वो नजारे। वो मिट्टी वाली सड़कें बैलों की उसपे जोड़ी, वो गर्म दूध वाले मटकों ने साढ़ी छोड़ी। फूलों की क्यारियों को दादा का वो सजाना, टूटी हुई संदूक में दादी का था खजाना। सब काम कर रहे थे भगवान के सहारे, सपने में खूब आता है गांव अब हमारे, यादों में आते रहते गांवों के वो नजारे। खेतों में दिख रहा था बस एक रंग धानी, दिन काटते थे मेरे बगिया और बागवानी। छावों में बुनते रहते सब बैठ करके डलिया, स्कूल से बचाती थी रोज हमको पुलिया। ढहती थी धीरे धीरे मिट्टी की वो दिवारें, सपने में खूब आता है गांव अब हमारे, यादों में आते रहते गांवों के वो नजारे। ©Shubham Mishra #good_night village
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