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Giridhar Rai
कौन है देत सहारा धक्का देने के लिए, सभी यहाँ तैयार दुनियादारी के हुए, बहुते लोग शिकार बहुते लोग शिकार, कौन है देत सहारा सको नहीं पहचान, कौन है मीत हमारा कहते गिरिधर राय-मिले न जुबाँका पक्का मददगार दो - एक, बाकी देत हैं धक्का डॉ.गिरिधर राय ©Giridhar Rai #good_night गिरधर राय की कुण्डलिया
#good_night गिरधर राय की कुण्डलिया
read moreAjay Chaurasiya
White विरानियों में खो जाने को दिल चाहता है, पहाड़ों में घूमने को दिल चाहता है, दिल चाहता है बहुत कुछ मगर, लेकिन सिर्फ दिल के चाहने से क्या हो जाता है ? ©Ajay Chaurasiya #चाहने से
#चाहने से
read moreहिमांशु Kulshreshtha
मेरी कविता के दर्पण में, जो कुछ है, महज़ तेरी परछाई है एक कोने में नाम मेरा, लफ्ज़ लफ्ज़ में तू छाई है तू पढ़ती है मेरी कविता, मैं तेरा मुखड़ा पढ़ता हूँ… देख झील सी आँखे तेरी मैं अल्फाजों से तुझ को गढ़ता हूँ ©हिमांशु Kulshreshtha अल्फाजों से..
अल्फाजों से..
read moreRjSunitkumar
पसीना उम्र भर उसकी गोद में सूख जायेगा सही मायने में आपने जो हमसफर जो पसंद किया हे वो बुढ़ापे में ही समझ आ जायेगा। ©RjSunitkumar दिल से
दिल से
read moreJEETENDRA Sharma
जो दिल में वही लिखते हैं हम। क्यों कि उसके साये से भी डरते हैं हम ©JEETENDRA Sharma साये से
साये से
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दास - आज शरण में हो जब वंदन , दो बिसरा अपराध ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दा
मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दा
read moreHarishh,,,
इस उधार नगद के जीवन से जब चैन की साँसें लूँगा गिरधर हर सुख दुख में केवल मैं तुम्हें पुकारूँगा गिरधर, बना के बाती साँसों की मैं तेरी आरती उतारूँगा गिरधर मीरा के भजनों में, संतों की वाणी में मैं, अब तुम्हें तलासुंगा गिरधर, मेरे हृदय में, अंतर्मन में तुम हो केशव आओ, मुझको पास बिठा लो, गले लगा लो साँझ सवेरे, आठों पहर मैं अब से तुम्हें निहारूँगा गिरधर! ©Harishh,,,,, गिरधर,,,,,
गिरधर,,,,,
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव , दो इनको परिणाम । अब मुक्ति दिलाओ , राह दिखाओ , करता तुम्हें प्रणाम ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव , दो इनको परि
मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव , दो इनको परि
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