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Bharat Bhushan pathak
मकड़ जाल जीवन सखे, कितने इसमें जाल। फँस-फँस इसमें हो रहा,मनुज यहाँ बदहाल।। मनुज यहाँ बदहाल,ढूँढ रहा यहाँ रस्ता। मुश्किल ढोना हुआ,संघर्षी अभी बस्ता।। शिक्षक जीवन वही,सब हल करता सवाल। निकलें हम खुद यहाँ,गहरा भले मकड़ जाल।। ©Bharat Bhushan pathak poetry lovers poetry in hindi hindi poetry on life hindi poetry poetry मकड़ जाल जीवन सखे,इसमें कितने जाल। फँस-फँस इसमें हो रहा,मनुज यहाँ बद
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read moreनवनीत ठाकुर
कमियां मेरी, मेरी पहचान बन गई, हर ठोकर से मेरी राह जान बन गई। हर मोड़ पर मिला एक नया इम्तिहान, उन्हीं सबकों से मेरी उड़ान बन गई।। अलग हूँ मैं, यही है मेरी पहचान, भीड़ से जुदा, मेरी अपनी दास्तान। जीवन का मंच है, मैं कलाकार यहाँ, अपनी तकदीर का हूँ मैं खुद निगहबान।। ©नवनीत ठाकुर अलग हूँ मैं, यही है मेरी पहचान, भीड़ से जुदा, मेरी अपनी दास्तान। जीवन का मंच है, मैं कलाकार यहाँ, अपनी तकदीर का हूँ मैं खुद निगहबान।
अलग हूँ मैं, यही है मेरी पहचान, भीड़ से जुदा, मेरी अपनी दास्तान। जीवन का मंच है, मैं कलाकार यहाँ, अपनी तकदीर का हूँ मैं खुद निगहबान।
read moreAshraf Fani
अदावत की अदालत है साहिब इंसाफ़ नहीं मिल पायेगा कानून यहॉं बेमानी है यहाँ न्याय तड़प मर जायेगा ©Ashraf Fani अदावत की अदालत है साहिब इंसाफ़ नहीं मिल पायेगा कानून यहॉं बेमानी है यहाँ न्याय तड़प मर जायेगा #ashraffani हिंदी शायरी Sushant Singh Rajput 'द
अदावत की अदालत है साहिब इंसाफ़ नहीं मिल पायेगा कानून यहॉं बेमानी है यहाँ न्याय तड़प मर जायेगा #ashraffani हिंदी शायरी Sushant Singh Rajput 'द
read moreAttitude Life
White खेल तो सिर्फ नाम का है, असल में तो यहाँ मेरा राज चलता है। ©Attitude Life खेल तो सिर्फ नाम का है, असल में तो यहाँ मेरा राज चलता है। #AttitudeShayari #Zindagi #SelfRespect #Motivation #AttitudeShayari #ZindagiMe
खेल तो सिर्फ नाम का है, असल में तो यहाँ मेरा राज चलता है। #Attitudeshayari #Zindagi #selfrespect #Motivation #Attitudeshayari ZindagiMe
read moreBharat Bhushan pathak
माठमà¥à¤à¥‡ वरदान दो की रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।। भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके। जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।। ©Bharat Bhushan pathak रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पाप
रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पाप
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