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Andy Mann
White एक बार एक वोटर लाइन में ही मर गया। मृत्यु उपरान्त वो ऊपर यमराज के दरबार में पहुंचा। वहां चित्रगुप्त उसके कर्मो का खाता खोले बैठा था। उसके कर्मो का खाता देखने के बाद चित्रगुप्त ने यमराज से कहा श्रीमान ये तो 50, 50 का मामला है। पलड़ा दोनों तरफ बिलकुल बराबर है। ऐसी स्थिति पहली बार हुई है। आप आदेश दें कि क्या किया जाए। इसे कहां भेजा जाए। स्वर्ग या नर्क यमराज- ऐसी स्थिति में निर्णय लेने का अधिकार इसी का है। जो भी ये चुनना चाहे। उन्होंने उसे एक दूत के साथ एक दिन नर्क और स्वर्ग में बिताने के लिए भेज दिया। पहले दिन नर्क में पहुंचते ही उसने खुद को एक गोल्फ कोर्स में पाया। चारो तरफ हरियाली , खूबसूरत दृश्यावली के बीच उसे दूर एक छोटा सा एक क्लब नजर आया। वहां पहुंचते ही उसे उसके सभी पुराने मित्र मिल गए । जो सभी बेहद खुश और मजे ले रहे थे। मित्रों के साथ दिन भर उसने ढेर सारा आनंद उठाया, अच्छा खाना खाया थोड़ी बढ़िया शराब भी पी। आखिर उनसे विदा लेकर वो दूत के साथ स्वर्ग में पहुंचा। वहां सभी संत टाइप के संतुष्ट व्यक्ति भजन कीर्तन में लीन थे। दिन बीतता दिखा नहीं उसे। आखिर उसका जाने का समय हो गया। दूत के साथ वो यमराज के पास पहुंचा। यमराज ने उसका निर्णय जानना चाहा। उसने कहा - महाराज स्वर्ग बहुत अच्छा है। वहां शान्ति भी है। लेकिन मैं तो नर्क में ही रहना चाहूंगा। असल आनंद वही पर है। यमराज ने दूत को उसे नर्क में छोड़ कर आने के लिए कहा। नर्क के द्वार के अंदर घुसते ही वो चौंक गया। चारों तरफ उजाड़ बियाबान रेगिस्तान नजर आ रहा था। और उसके सभी मित्र फटेहाल अवस्था में वहां बिखरे पड़े कूड़े करकट में अपना भोजन तलाश रहे थे। उसने दूत से कहा- ये क्या कल तो यहां दूसरा ही दृश्य था। दूत ने हँसते हुए कहा - कभी पृथ्वी पर चुनाव प्रचार नही देखा क्या?? कल अभियान का दिन था। तुम्हे लुभाने का दिन था। तुम्हे फसाने का दिन था। आज तो तुम अपना वोट दे चुके हो। ©Andy Mann #राजनीतिक_व्यंग Ak.writer_2.0 अदनासा- Ashutosh Mishra Dr Udayver Singh Rakesh Srivastava
#राजनीतिक_व्यंग Ak.writer_2.0 अदनासा- Ashutosh Mishra Dr Udayver Singh Rakesh Srivastava
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यहां पुरुष स्त्री को और स्त्री पुरुष को खोज रहे है..ईश्वर की कोई खोज नहीं..खोज भी रहे तो वो पहली खोज से पीछे है, ईश्वर प्रायोरिटी नहीं है, स्त्री-पुरूष एक दूसरे के लिए प्रायोरिटी हैं...एक दूसरे को भोगना पहली प्राथमिकता है, ईश्वर है, नहीं है, कल्पना है, लफ्फाजी है, आत्मसम्मोह है,पता नहीं क्या है,फिर भी लगे पड़े हैं... पुरुष तो स्विकार करता है कि वो स्त्री को खोज रहा है,पर स्त्री पुरुष को खोजकर भी डिनायल मोड में है कि वो नहीं खोज रही..उसको फर्क नहीं पडता उसकी पोस्चरिंग ऐसी है, आना है तो आओ न आना तो कोई फर्क नहीं पड़ता, पर फर्क उसको बहुत भयानक पड़ता हो अगर कोई न आए तो ... पर पुरुष की स्त्री की खोज स्त्री तक पहुंच रही ओटो मोड में, इसलिए स्त्री खोजकर भी नहीं खोज रही है.. खोजने वाले को वही पहुंचना है वो जानती है.. भीतर तो वो अस्त व्यस्त हैं पर बाहर की पोजिशनिंग ऐसी है कि ..आना ही पड़ेगा सजना ज़ालिम है दिल की लगी.. स्त्री-पुरुष दोनों एक दूसरे से उबकर ईश्वर को खोज रहे हैं..एक दूसरे को भोग-भोगकर , लड़-मरकर आखिर में हांथ कुछ न लगता प्रतित होता तो ईश्वर की खोज शुरू होती है.. ईश्वर की खोज का रहस्य दोनों की अपूर्णता में ही है.. तो झुम बराबर झुम दिवाने ©Andy Mann #खोज Rakesh Srivastava Ashutosh Mishra Neel अदनासा- Dr. uvsays
#खोज Rakesh Srivastava Ashutosh Mishra Neel अदनासा- Dr. uvsays
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