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Rudransh__(mahadev bhakt)

kishori jha

Sardar Jagjeetsingh Kalra

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Sunil Panth

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keshi Gupta

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मां के चरणों में 
झुकता है संसार

©keshi Gupta #navratri  bhakti bhakti bhajan bhakti song bhakti geet

Gyan Bdr Adhikari

#Shiv Bhajan

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White (शिव भजन)

अन्तर्यामी भोले शंकर जगत के पिता 
जगत जननी अम्बे गौरी भवानी संसार की माता  
    भोले के जटा में गंगा धारा है
   उनका गले में सर्प की माला है।

भोले शंकर महादेव कैलाश में निवास करते हैं
 दुःखियों के दुःख को क्षण भर में दूर कर देते हैं
भोलेनाथ हमें भी अपने साथ ले चलो
संपूर्ण मानव जाति को कल्याण की गुण दो।

शंकर जी के हाथ में त्रिशूल डमरू
पृथ्वी पर आओ और पापियों का नाश करो
भोलेनाथ तुम्हारा नाम हमारी सांस में है
 हम तो सदैव भोलेनाथ के दास हैं।

  ज्ञान बहादुर अधिकारी
 गांव-नेपाली पथार
 जिला-बिश्वनाथ (असम) भारत

©Gyan Bdr Adhikari #Shiv Bhajan

Rishi Ranjan

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"मां दुर्गा के नौ स्वरूप एक स्त्री के रूप में"

नवदुर्गा एक स्त्री के पूरे जीवन चक्र का ही प्रतिबिंब है आइए देखते हैं नवदुर्गा 
के नौ स्वरूप एवं स्त्री रूप... 

हे मां तुम सब प्रकार का 
मंगल करने वाली हो,
तीन नेत्रों वाली गौरी नारायणी 
तुम्हें बारम्बार नमस्कार है।

मां तुम्हारे नौ स्वरूपों को हम पूजते हैं,
मां तुम्हें बारम्बार नमस्कार है।

प्रथम "शैलपुत्री" जीव ग्रहण करती 
कन्या स्वरूप हो,
पंचतत्व को पूजना अर्थात तुम्हें पूजना है।

द्वितीय कौमार्य अवस्था तक 
"ब्रह्मचारिणी" का स्वरूप हो,
चेतना का संचार जड़ में अंकुरण 
का प्राद्रुभाव हो।

तृतीय "चंद्रघंटा" विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से चंद्रघंटा स्वरूप है,
जीव जगत के कल्याण हेतु मनुष्य 
में समाहित होती।

चतुर्थ "कूष्माण्डा" देवी गर्भ धारण 
करने पर स्त्री कूष्माण्डा स्वरूप,
समस्त प्राणी मात्र कल्याण सृष्टि के विस्तृतिकरण हेतु गर्भाधान कर भगवती कूष्माण्डा कहलाती।

पंचम "स्कंदमाता" संतान उत्पत्ति के 
बाद स्त्री स्कंदमाता हो जाती,
पुत्र पुत्री की प्राप्ति उपरांत स्कंदमाता 
माता पिता का स्वरूप हैं।

षष्ठी "कात्यायनी" देवी संयम साधना को धारण करने वाली स्त्री कात्यायनी का स्वरूप,
इस स्वरूप में देवी भगवती 
कन्या के माता-पिता हैं।

सप्तम "कालरात्रि" अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को जीतने वाली स्त्री 
कालरात्रि देवी का स्वरूप है,
भगवती इन सातों स्वरूप को धारण 
कर देवी संसार को प्रदीप्त करतीं हैं।

अष्टम "महागौरी" एक स्त्री के लिए 
उसका कुटुंब ही समस्त संसार बन जाता है,
मां का हर रूप अपने भक्तों पर कृपा करके सर्वस्व न्यौछावर करने वाला है।

नवम स्वरूप "सिद्धिदात्री" स्त्री समस्त यश वैभव सुख समृद्धि अपने कुटुंब संतान को सौंपतीं है,
मां का यह स्वरूप सिद्धिदात्री 
साधक को समस्त सिद्धियां प्राप्त होती।

©Rishi Ranjan  bhakti bhajan bhakti song desh bhakti
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