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ranjit Kumar rathour
वक्त कितनी तेज भाग रहा है छोटा सा छोटू अब बड़ा हो गया है पहली दफा सात दिन का कैंप बमुश्किल झेल पाया था भोलू तो चौथा दिन भाग आया था आज़ सात साल फिर घर दूर दोनों गया लेकिन छोटू वहीँ पर है और भोलू फिर लौट कर आ रहा है समय बदल गया है लेकिन आदते जस की तस है एक कहता रहा लूंगा दूसरा कहता पापा मुझे नहीं रहना घर से दूर ©ranjit Kumar rathour घर से दूर
घर से दूर #कविता
read moreSangeeta Verma
White चार दीवारी से नहीं बनता घर अपनों के प्यार के बिना अधूरा है हर घर बच्चों की किलकारी सी ही तो महकता है घर बुज़ुर्गो के आशीर्वाद से फलता है घर माँ का दुलार पिता की फटकार से मज़बूत बनता है घर भाई बहन से लड़ना झगड़ना रूठाना मानना से खिलता है घर थोड़े से आँसू थोड़ी सी हँसी से थोड़े से गम थोड़ी सी खुशी बस इस से ही तो खड़ा रहता है घर। ( चाँदनी ) sangeeta verma ©Sangeeta Verma #घर # कविता
#घर # कविता
read morek. k
White बादलों का घर आसमान है ऊंची उड़ान ही मेरी पहचान है ©k. k #बादलों का घर
#बादलों का घर
read moreParasram Arora
White अच्छा होगा अब तुम भटकना छोड़ कर चुप चाप आकर मेरे दिल मे बस जाओ क्यों न तुम मेरे दिल. मे ही अपना स्थाई निवास बना लो और उसे अपना ही घर समझ लो . ©Parasram Arora अपना घर
अपना घर #कविता
read morePallavi
Black ‘घर’ सा बनकर आना... हर कोई यहां नदी सा है जहां कोई हमेशा के लिए ठहर नही सकता ... मगर जो हमेशा स्थिर रह सके तुम मेरे लिए एक घर जैसे बन जाना! आज साथ हैं पर कल का पता नही ये बहती हुई किसी नदी के समान ही हैं... मगर तुम आना तो कुछ इस तरह कोई ‘घर’ सा बन कर आना.... मैं सुकून की तलाश में कहीं जाना चाहूं और तुम ‘घर’ की तरह मुझे याद आना! ©Pallavi Mamgain तुम ‘नदी’ नही , ‘घर’ सा बनकर आना poetry, love , ghar, nadi #Thinking #घर #नदी प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता कविता