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IG @kavi_neetesh
*लाल बहादुर शास्त्री* छोटा कद उच्च विचारों वाले हमारे। लाल बहादुर शास्त्री थे महान।। मजबूत इरादे वाले सदा रहे वो। हर कदम पर बढ़ाया देश का मान।। जय जवान जय किसान का दिया नारा। गरीब मजलूम का बने वे सदा सहारा।। देश हित में लिए बड़े फैसले सदा। जिन पर गर्व देश करता है हमारा।। हिला दिया था जिसने पाकिस्तान। सच्चा भारत का वो सपूत महान।। जिन्होंने रखा था भारत का मान। हमारे शास्त्री जी थे हमारी शान।। ©IG @kavi_neetesh #HBDShastriJi कुमार विश्वास की कविता प्रेम कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता देशभक्ति कविता *लाल बहादुर शास्त्री* छोटा क
#HBDShastriJi कुमार विश्वास की कविता प्रेम कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता देशभक्ति कविता *लाल बहादुर शास्त्री* छोटा क
read moreMiMi Flix
"लावा का कहर - लावा मॉन्स्टर का विनाश: Courage and Triumph" - एक सामान्य दिन फ्यूरेन शहर में तबाही में बदल जाता है जब एक उच्च तकनीक प्रयोग क #वीडियो
read morePradyumn awsthi
आसमा में जब उड़ते पक्षियों ने इंसान को उड़ते देखा तो बड़ा आश्चर्य पाया... और जब उसी इंसान को धरती के पशुओं ने निजी स्वार्थ के लिए अपने स्तर से भी नीचे गिरता देखा तो उन्हें भी बड़ा आश्चर्य हुआ । ©Pradyumn awsthi #उच्च और निम्न स्तर आज का विचार
#उच्च और निम्न स्तर आज का विचार
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
*विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी .... पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह । खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।। आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव । जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव । आओ लौट चलें अब साथी ..... स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय । सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।। यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव । देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह । मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।। अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव । सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ..... झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख । गर्दन भी ये अब न न करती ,लोग रहे सब देख ।। वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव । मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।। आओ लौट चलें साथी अब ... कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव । एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।। और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव । अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ...
*विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ... #कविता
read moreRavendra
परिषदीय विद्यालयों का डीएम ने किया औचक निरीक्षण बीएसए को विद्यालयों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के दिये निर्देश बहराइच परिषदीय विद् #वीडियो
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परिषदीय विद्यालयों का डीएम ने किया औचक निरीक्षण बीएसए को विद्यालयों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के दिये निर्देश बहराइच परिषदीय विद् #वीडियो
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