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Kavi Avinash Chavan(युवा कवी)
आसवांची साद ऐकूण का सखे तू येत नाही, कोण म्हणतो काळजाला बोलता ग येतं नाही.. #युवाकवी #मराठीकविता
read moreRavendra
सीमावर्ती इलाके में हर्षोल्लास पूर्ण वातावरण में मनाया गया 78वां स्वतंत्रता दिवस बहराइच।आजादी की 78वां वर्षगांठ नेपाल सीमावर्ती इलाके में #वीडियो
read moreShashi Bhushan Mishra
पन्थ विकट है, अन्त निकट है, जाने का अब, कटा टिकट है, जीवन है छल, मृत्यु कपट है, रह-रह उठती, हृदय लपट है, मन में रोष, भृकुटि बंकट है, अब उज्जवल है, काल विगत है, चल थाने में, लिखा रपट है, भले-बुरे को, डाँट डपट है, 'गुंजन' मन में, उठा-पटक है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra #पंथ विकट है#
Manya Parmar
औरत को संकोची आश्रित डरपोक मन से दिमाग से कमजोर बनानें के लिए धर्म संस्कृति संस्कार इज्ज़त की आड़ लेते है बाकी कहीं इनकी ये चीजे काम नहीं आत #Shayari
read moreManya Parmar
औरतें बचपन से नजरांदाज दुत्कार का व्यवहार सहती आई है इसलिए वे ऐसी हो गई है तुम एक दिन भी नहीं सह पाओगे अपनो का ऐसा व्यवहार, आदमी होने की सार #Shayari
read moreManya Parmar
पहले अपनी कमियां देखे फिर औरत को गिनाओ। प्यार अपनापन परिवार चाहते हो तो एक दूसरे का सम्मान करों हिम्मत बनो, गलतियां नजरंदाज करों, गलती सुधार #Motivational
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस , जहाँ लखन का राज ।।२ राजा बनकर राज कर , बनना नहीं नवाब । पारिजात को भूलकर , खोजे आज गुलाब ।।३ अपना भी इतिहास पढ़, खोल पुराने ग्रंथ । वह बतलायेंगे तुम्हें , सरल सुलभ नित पंथ ।।४ सुनना चाहो आप नित , कोई कहे नवाब । क्या अपने फिर धर्म को , दोगे आप जवाब ।।५ सबको अपने धर्म का , करना चहिये मान । इसीलिए तो जन्म ये , दिया तुम्हें भगवान ।।६ बने सनातन फिर रहे , गली-गली सब लोग । होता ज्ञान अगर तुम्हें , करते उचित प्रयोग ।।७ ज्ञान नहीं है धर्म का , भटक रहे सब लोग । तब ही तो तुम कर रहे , अनुचित यहां प्रयोग ।।८ हुआ तुम्हारे कर्म से , धर्म अगर बदनाम । याद रखो बख्शे नहीं , तुम्हें कभी भी राम ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस ,
दोहा :- पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक । रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१ बढ़ती दुनिया देखकर , मन करता है आज । जाऊँ पीछे आज बस , #कविता
read moreDr. Manishacharya Yoga Guru Astrologer