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IG @kavi_neetesh
White “ निशीथ का दिया “ तुम जलो , जलना तुम्हें है तुम चलो , चलना तुम्हें है पथ तुम्हें दुर्गम मिलेंगे मन तुम्हारा वह छलेंगे हारकर रुकना नहीं है टूटकर झुकना नहीं है जय विजय का प्रण लिए निर्भीक पग चलना तुम्हें है तुम जलो, जलना तुम्हें है।। दिव्यता का दीप तुम हो सजग प्रहरी वीर तुम हो चिर निरंतर जल रहा जो धर हृदय वह धीर तुम हो सृष्टि के कल्याण परहित कठिन पथ चलना तुम्हें है तुम जलो, जलना तुम्हें है।। रोशनी के तुम शिखर हो तिमिर के शत्रु प्रखर हो हो रहा जो रण अटल उस सभ्यता का दीप तुम हो घोर गहवर इन तमों से लड़ना सदा डटकर तुम्हें है तुम जलो , जलना तुम्हें है ।। ©IG @kavi_neetesh #GoodMorning प्रेम कविता देशभक्ति कविताएँ कविताएं कविता कोश हिंदी कविता “ निशीथ का दिया “ तुम जलो , जलना तुम्हें है तुम चलो , चलना तुम्ह
#GoodMorning प्रेम कविता देशभक्ति कविताएँ कविताएं कविता कोश हिंदी कविता “ निशीथ का दिया “ तुम जलो , जलना तुम्हें है तुम चलो , चलना तुम्ह
read morePURAN SINGH CHILWAL
White बुद्ध ने महल का त्याग किया शांति की तलाश में और हम शांति का त्याग कर रहे हैं महल की तलाश में मुझे पता नहीं पाप और पुण्य क्या है बस इतना पता है कि जिस कार्य से किसी का ये है और जिससे किसी के चेहरे पर मुस्कान आए वह पुण्य है ©PURAN SINGH CHILWAL #sad_quotes पुराने दिनों में घर में अजीब सा रिश्ता था दरवाजे आपस में गले मिलते थे आप तो दरवाजा भी अकेले हो गया💕💕💞🤍🤍🌷🌷🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏
#sad_quotes पुराने दिनों में घर में अजीब सा रिश्ता था दरवाजे आपस में गले मिलते थे आप तो दरवाजा भी अकेले हो गया💕💕💞🤍🤍🌷🌷🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White ।। " मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता बल्कि फैसले लेकर उन्हें सही साबित कर देता हूँ ! " ।। संसार में ऐसे व्यक्तित्व कम करिश्माई जन्म लेते हैं अपनी विराट विरासतको शिखर पर ले जाने वाले हैं संबंधों को बड़े प्रेम शिद्दत सलाहियत से निभाते है व्यापार को परिश्रम ईमानदारी शिखर पे पहुंचाते हैं रतन टाटा से रतन संसार में बिरले ही जन्म लेते हैं बड़ी खामोशी से वे अपना कर्तव्य निभाया करते है और खामोशी से हीअसार संसार से विदा लेते हैं सादगी का दिव्य स्वरूप मिलनसार जिनका था रूप दानशीलता में अग्रणी ऐसे दिव्य विभूतियां भारती बिरले ही कभी कभी इस संसार में जन्म लेते हैं करुणा की मूर्ति संसार में कम जन्म लिया करते हैं मानव रूप में करुणा की प्रतिमूर्ति विभूती अतुल्य रतन टाटा गए व्यापारीगण पारिवारिक जगत में सन्नाटा छोड़ गए उमेश चंद्र श्रीवास्तव नवांकुर मौलिक स्वरचित 10/10/2021 ©बेजुबान शायर shivkumar #Ratan_Tata #ratantata #RIP फिल्मी दुनिया हिंदी फिल्म ।। " मैं सही #फैसले लेने में #विश्वास नहीं करता बल्कि फैसले लेकर उन्हें सही #सा
#Ratan_Tata #ratantata #RIP फिल्मी दुनिया हिंदी फिल्म ।। " मैं सही #फैसले लेने में #विश्वास नहीं करता बल्कि फैसले लेकर उन्हें सही सा
read moreMiMi Flix
"रहस्यमयी खदान का राज" - शहर के बाहरी हिस्से में स्थित पुरानी खदानों के रहस्य की खोज में आर्यन और सिद्धार्थ की साहसिक यात्रा शुरू होती है। ज
read moreMukesh Poonia
White कभी अकेला चलना पड़े तो डरिए मत क्योंकि श्मशान शिखर और सिंहासन पर इंसान अकेला ही होता है इसलिए अगर तुम अकेले हो तो अपने आप को ताकतवर समझो . ©Mukesh Poonia #sad_shayari कभी #अकेला चलना पड़े तो डरिए मत क्योंकि #श्मशान #शिखर और #सिंहासन पर इंसान अकेला ही होता है इसलिए अगर तुम अकेले हो तो अपने आप क
#sad_shayari कभी #अकेला चलना पड़े तो डरिए मत क्योंकि #श्मशान #शिखर और #सिंहासन पर इंसान अकेला ही होता है इसलिए अगर तुम अकेले हो तो अपने आप क
read moreMukesh Poonia
White जो अपने हालातो से लड़ना जानते हैं वो शिखर पर भी पहुंचना जानते हैं . ©Mukesh Poonia #good_night जो अपने #हालातो से #लड़ना जानते हैं वो #शिखर पर भी #पहुंचना जानते हैं शुभ विचार आज का विचार अच्छे विचार फोटो अच्छे विचारों शुभ
#good_night जो अपने #हालातो से #लड़ना जानते हैं वो #शिखर पर भी #पहुंचना जानते हैं शुभ विचार आज का विचार अच्छे विचार फोटो अच्छे विचारों शुभ
read moreJaleshwar Mehta
MiMi Flix
"जादुई पुस्तकालय | ज्ञान का खजाना और अनु की जीवन बदलने वाली खोज" - जब अनु ने खोला जादुई पुस्तकालय का दरवाजा, तब खुली दुनिया का सबसे अद्वितीय
read moreranjit Kumar rathour
बेटा मै प्रखर की ओर निहार रहा हूं मेरी एक गलती पर पापा ने जवाबी ख़त मे लिखा था कम हीं ऐसा कभी होता है कि गलती पर पिता डांटे नहीं आशीष दे है मेरे साथ हुआ था और कुछ हीं दिन ज्यादा बड़ा तो कुछ नहीं जिंदगी को एक रास्ता सा मिल था उस घटना के लगभग 25 साल हो चुके है उसी आसमान कि बुलंदियों को निहार रहा था लगा इस पल को कैद कर लूँ कर भी लिया वो होनी धुन मे बढ़े जा रहा था और मैं उस ख़त के हर शब्द के सच होने के एहसास को जिए जाए रहा था बस दिल से निकला बेटा अब दुआए मेरी सफऱ तेरा हा शुरू हो चूका है रुकना मत बस बढ़ते और बढ़ते हीं जाना और लौटना तो इस तरह कि मेरे संग दादा भी कहे देखो ये मेरा पोता है जो बेटे से भी आगे है ©ranjit Kumar rathour शिखर कि ओर
शिखर कि ओर
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था। तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।" जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे। फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?" लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ ChatGPT can make ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
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