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Qaseem Haider Qaseem
White Ghazal क्यों ना जज़्बात पे हंसी आये एहले बद ज़ात पे हंसी आये सारे क़िस्से ही अपने झूठे थे सच में इस बात पे हंसी आये चंद लम्हों में इश्क़ कैसा हुआ इस मुलाक़ात पे हंसी आये उनकी एक रात कामयाब हुई अपनी 100 रात पे हंसी आये हमने सोचा के वो हमारे हैं बस ख़यालत पे हंसी आये ©Qaseem Haider Qaseem #GoodMorning क्यों ना जज़्बात पे हंसी आये एहले बद ज़ात पे हंसी आये सारे क़िस्से ही अपने झूठे थे सच में इस बात पे हंसी आये
#GoodMorning क्यों ना जज़्बात पे हंसी आये एहले बद ज़ात पे हंसी आये सारे क़िस्से ही अपने झूठे थे सच में इस बात पे हंसी आये
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White जब छत पे तुम आ जाते हो ज़ुल्फ़ों को बिखेरे.. चाँद आता है दीदार ही करने को तुम्हारे.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #जब छत पे तुम....
#जब छत पे तुम....
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White छिप भी जाता है नज़र आता है.. चाँद है हुश्न पे इतराता है.. यूसुफ आर खान... ©F M POETRY #चाँद है हुश्न पे इतराता है....
#चाँद है हुश्न पे इतराता है....
read moreJitender Kumar
horror आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया मैंने दिये को आँधी की मर्ज़ी पे रख दिया आओ तुम्हें दिखाते हैं अंजामे-ज़िंदगी सिक्का ये कह के
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White पता न पूछिये मुझ जैसे ग़म के मारे का.. नयी सड़क पे पुराना मक़ान है मेरा.. यूसुफ आर खान.... ©F M POETRY #नयी सड़क पे पुराना मक़ान...
#नयी सड़क पे पुराना मक़ान...
read moreRameshkumar Mehra Mehra
White गुजार लेते है..... पूरा दिन दिखाबे की हंसी में...! शाम ढलते ही रो पडते है.....!! खुद की बदनसीबी पे..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # गुजार लेते है,पूरा दिन दिखाबे की हंसी में,खुद शाम ढलते ही रो पड़े है,खुद की बदनसीब पे...
# गुजार लेते है,पूरा दिन दिखाबे की हंसी में,खुद शाम ढलते ही रो पड़े है,खुद की बदनसीब पे...
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White उड़ जायेंगे तस्वीर से रंगों की तरह हम.. हम वक़्त की टहनी पे परिंदों की तरह हैँ.. यूसुफ आर खान... ©F M POETRY #हम वक़्त की टहनी पे..
#हम वक़्त की टहनी पे..
read moreJashvant
White क़रीब मौत खड़ी है ज़रा ठहर जाओ क़ज़ा से आँख लड़ी है ज़रा ठहर जाओ थकी थकी सी फ़ज़ाएँ बुझे बुझे तारे बड़ी उदास घड़ी है ज़रा ठहर जाओ नहीं उमीद कि हम आज की सहर देखें ये रात हम पे कड़ी है ज़रा ठहर जाओ अभी न जाओ कि तारों का दिल धड़कता है तमाम रात पड़ी है ज़रा ठहर जाओ फिर इस के बा'द कभी हम न तुम को रोकेंगे लबों पे साँस अड़ी है ज़रा ठहर जाओ दम-ए-फ़िराक़ मैं जी भर के तुम को देख तो लूँ ये फ़ैसले की घड़ी है ज़रा ठहर जाओ ©Jashvant लबों पे सांस अड़ी है
लबों पे सांस अड़ी है
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