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Vinod Mishra
"होंठों पर मुस्कान हो और आँखें नम हो लें समझ लें कोई चाहत मिल बैठी है." #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️ #मोटिवेशनल
read moreSatish Kumar Meena
काश इस दिवाली काश! इस दिवाली प्रेम और सौहार्द से एक दूसरे से मिल जुलकर ,एक साथ दिए की दिवाली और मिठाइयों के संग, गरीबों को बरकत देकर मां लक्ष्मी जी की पूजा का आह्वान कर दिवाली मनाएं। ©Satish Kumar Meena काश! इस दिवाली 🪔
काश! इस दिवाली 🪔 #विचार
read moreParasram Arora
White इस लम्बे सफऱ मे चलते चलते पाँव इतने थक चुके है कि अब बैठ कर अपने छालो को गिनना भी संभव नही ये तों वैसा ही है जैसे कि पेट भरा हो और कोई अपने निगलें हुए निवालो को गिनने की कोशिश करें ©Parasram Arora इस लम्बे सफऱ मे
इस लम्बे सफऱ मे #कविता
read moreShashi Bhushan Mishra
छपते-छपते रह गया, बचते-बचते बह गया, चश्मदीद था एक अदद, जाते-जाते कह गया, मौत के साये में चुप था, दर्द ज़माने का सह गया, मिट्टी का जर्जर घर था, इस बारिश में ढह गया, छोड़ गया घर-आंगन सूना, मुद्दों से कर सुलह गया, पता ठिकाना बता कोई, जाने कौन सी जगह गया, मिटा गया रंजिशें तमाम, 'गुंजन' लेकर कलह गया, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra #इस बारिश में ढह गया#
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें कभी चाँद के ही बहाने से छत पर जो आओ नज़र प्यास हम भी मिटा लें न ज़न्नत से हैं कम कदम ये तुम्हारे अगर हो इजाज़त तो दुनिया बसा लें बहुत हो गई है चूँ चाँ ज़िन्दगी में यही कह रहा दिल कि पर्दा गिरा लें बिछड़ जायेंगे दो घड़ी बाद फिर से कोई कह दे उनसे गले से लगा लें बड़ी बद नज़र हैं ज़माने की नज़रें बचाकर नज़र आज घूँघट उठा लें सफ़र की थकन से मुसाफ़िर हैं बेसुध चलो उनको थोडा सा पानी पिला लें लगी आग जो तन बदन में हमारे उसे प्रीत से ही चलो हम बुझा लें मिला जो अभी तक हमें चाहतों में उसे धड़कनों में कहीं तो छुपा लें बहुत बढ़ रही है तपन सूर्य की अब जमीं पे कहीं एक पौधा लगा लें प्रखर तो यही रात दिन सोचता है । नहीं अब किसी की कभी बददुआ लें महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें
ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें #शायरी
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