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Vandana Rana
White हार गया यह दिल तुझे पाने में भी, तुझे भुलाने में भी......! ©Vandana Rana हार गया यह दिल तुझे पाने में भी, तुझे भुलाने में भी......!
हार गया यह दिल तुझे पाने में भी, तुझे भुलाने में भी......!
read more^=MoHiTRocK F44=^
White तुझे और भी है चाहने वाले तुझे मेरा मलाल थोड़ी है मैं मर भी जाऊ तो तुझे क्या परवाह तुझे मेरा ख्याल थोड़ी है ©^=MoHiTRocK F44=^ #Broken💔Heart तुझे और भी है चाहने वाले तुझे मेरा मलाल थोड़ी है मैं मर भी जाऊ तो तुझे क्या परवाह तुझे मेरा ख्याल थोड़ी है
Broken💔Heart तुझे और भी है चाहने वाले तुझे मेरा मलाल थोड़ी है मैं मर भी जाऊ तो तुझे क्या परवाह तुझे मेरा ख्याल थोड़ी है
read moreZajba_at @PrabhaShri
White मेरा मुस्कुराना , सिर्फ तुझे भाता है, उस मुस्कान को कायम रखना, सिर्फ तुझे आता है, एक ही जिंदगी है मेरी, कितनी बार तेरे नाम लिखू, जब भी कलम उठाती हूं, सिर्फ तेरा नाम आता है। ©Zajba_at @PrabhaShri सिर्फ तुझे आता है।।। #love_shayari
सिर्फ तुझे आता है।।। #love_shayari
read moreहिमांशु Kulshreshtha
इन सर्द रास्तों पर कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं एक खौफनाक अंधेरा है पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए बहा ले जा रही है मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख हथेलियों में समेट रहा हूँ बारिशें पर ये टिकती नहीं सर्द हवाएँ अंदर तक कुरेद रही है मुझे मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश अपने अंदर के शोर को साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं … मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर मिटाना चाहता हूँ जिंदगी की पगडंडियों से गुजरती तुम्हारी यादें भूलना चाहता हूॅं तुम्हारी खनकती हँसी खुद को… यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं तुम नहीं हो अब …. तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम इन भीगी हुई हथेलियों के बीच गुनगुनी छुअन बन कर सुनसान सड़क पर रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ मेरे साथ नहीं हो तुम मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम. ©हिमांशु Kulshreshtha मैं...
मैं...
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White मै ही रहा मन से दग्ध और देह से शापित दर्द उगता है दिल में तेरी यादों के जालों से घिरा रहता हूँ मैं अकुलाता उमड़ते ज्वार सा ©हिमांशु Kulshreshtha मैं....
मैं....
read moreShashi Bhushan Mishra
तू किरदार है तमाशबीन नहीं, बात सच है तुम्हें यकीन नहीं, ढूँढता फिर रहा सदा कमियाँ, यकींनन तुम हुए जहीन नहीं, समझ है अपना पराये का भी, दर्द में हूँ मगर ग़मगीन नहीं, मेरा रखवाला है ऊपरवाला, अकेला हूँ मगर यतीम नहीं, मेरे जज़्बात से नहीं खेलो, आदमी हूँ कोई मशीन नहीं, बनाई ऐसी है कुदरत जिसने, कोई शय ख़ुदा से हसीन नहीं, सुकूँ से ज़िस्म सो रहा 'गुंजन', कब्र जैसी कोई जमीन नहीं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra #बात सच है तुझे यकीन नहीं#
#बात सच है तुझे यकीन नहीं#
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