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Written By PammiG
White (खामोशी 🤫) मुख्तसर सी मेरी कहानी है, ये जो भी है आप की मेहरबानी है! शबे ऐ हिज्रां में अश्क ढालते हैं वर्ना, आपकी नज़रों में तो, ये भी पानी है! लोग सीरत को नहीं दौलत को देखते हैं यारो, उनकी नज़रों में तो, बुढ़े पर भी जवानी हैं पास दौलत का ग़र अंबार है तेरे, तो क्या बुढ़ापा और क्या जवानी है! तू तो "परवेज़" चुप रह तो ज्यादा अच्छा है, तेरी बातें में तो खून की रवानी है! ©Written By PammiG #GoodMorning Ambika Jha Saleem p j Ambika Jha Saleem p j
#GoodMorning Ambika Jha Saleem p j Ambika Jha Saleem p j #शायरी
read moreHeartfeltWrites_
सफ़र लंबा है, रास्ते अनजान हैं, ख़ामोशी की इस भीड़ में, अब बस खुद से ही बातें करती हूँ। ©silent_03 #cycle #Safar_E_Zindagi
Written By PammiG
White हालात के कदमों पर सिकंदर नहीं गिरता! गिरते हैं हज़ार दरिया समन्दर में, समन्दर किसी दरिया में नहीं गिरता! ©Written By PammiG #love_shayari_shahi Ambika Jha Saleem p j
#love_shayari_shahi Ambika Jha Saleem p j #शायरी
read moreWritten By PammiG
White हालात के कदमों पर सिकंदर नहीं गिरता! गिरते हैं हज़ार दरिया समन्दर में, समन्दर किसी दरिया में नहीं गिरता! ©Written By PammiG #love_shayari Ambika Jha Saleem p j
#love_shayari Ambika Jha Saleem p j #मोटिवेशनल
read moreDharma pandit( Unbreakable)
भरोसा सांसों का भी नहीं है और हम लोगों पर कर बैठते है..!! ✨Shubh Pandit ✨ ©Dharma pandit( Unbreakable) –Varsha Shukla Ambika Jha
–Varsha Shukla Ambika Jha #Shayari
read moreWritten By PammiG
White रात इकाई, नींद दहाई, ख़्वाब सेंकड़ों दर्द हज़ार, बहुत हुआ अब रोना धोना, मान भी जा ! ओ मेरे यार! कभी किसी के जो बन न सके, वो यार दोस्ती क्या जाने उन लोगों का तो रेहता है बस, माचिस तीली का कारोबार! कुछ लोग होके तुम्हारे अपने, तोड़ते रहते हैं तुम्हारे सपने! एक शब्द में क्या ही बोलूँ, वो केकई हैं रिश्तेदार! लोग "निधि" को चाहे इतना, जैसे मरने वाला, साँस हज़ार! रात इकाई, नींद दहाई, ख़्वाब सेंकड़ों दर्द हज़ार! दोस्त रूठे तो रब रूठे, तो फ़िर रब रूठे तो सब बेकार एक शब्द में बोले "परवेज़" वाह क्या बात है मेरे यार! रात इकाई, नींद दहाई, ख़्वाब सेंकड़ों दर्द हज़ार, ©Written By PammiG #sad_shayari Ambika Jha Saleem p j
#sad_shayari Ambika Jha Saleem p j #शायरी
read moreRushikesh bhadange
अंधार आणि एकांताचा जणू काहीतरी घनिष्ट सबंध असावा! या दोघांच्या सानिध्यातच माणूस अगदी शांत आणि अबोल होतो. दुनियेशी हितगुज करू पाहणारा दमलेला जीव या क्षणी स्वतःमध्येच इतका गुरफटून जातो की त्याला स्वतःचच भान राहत नाही. सुखाच्या तरंगांवर हेलकावे खात असलेली त्याची नाव बघता बघता कधी दुःखाच्या खोल दरीत कोसळते त्याचं त्यालाही समजत नाही. आणि तेव्हाच सुरू होते बुडू पाहणाऱ्या जीवाला काटावर पोहोचवण्याची केविलवाणी धडपड! पण नेमकं तिथेच तुमच्या प्रयत्नांना चपराक लगावून मिळणाऱ्या यशाला पराभूत करून तुमचाच पराजय तुमच्यावर हसू पाहतो आणि तेव्हाच मनुष्य दुःखाच्या दरीत असलेल्या वेदना आणि यातनांच्या सानिध्यात घटांगळ्या खात राहतो. अगदी निष्प्राण होईपर्यंत! ©Rushikesh bhadange #cycle माझ्या लेखणीतून #अंधार आणि एकांत!
#cycle माझ्या लेखणीतून #अंधार आणि एकांत! #मराठीविचार
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