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Shaarang Deepak
'मरने' का सलीक़ा आते ही 'जीने' का शुऊर आ जाता है by Sahir Ludhianvi Sab॥ Recited by- Saarang Deepak #SahirLudhianvi शायरी लव रोमांटिक
read moreJayesh gulati
मैंने कभी लिखा था ख्वाब एक किताब में, तुम्हे देखा तो जाना ख्वाब पूरे भी होते है ।। ©Jayesh gulati #Books
Shaarang Deepak
जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पै ग़ुरूर आ जाता है by Sahir Ludhianvi Sab॥ Recited by- Saarang Deepak #SahirLudhianvi #poems #viral #Shorts
read moreWriter Ravi
उलझनो को सुलझा देती हैं किताबें भटके को मार्ग दिखाती हैं किताबें बदतर से बेहतर बनाती है किताबें तू किताबों को दोस्त बना तो सही मंजिल तक आसानी से पहुंचती हैं किताबें । ©Writer Ravi #Books
Himachal MC
Pyar Kaliya To Kya | 'Kabhi Kabhie ' -(1976) Movie Song | Rishi Kapoor , Neetu Singh | Singer- Kishore Kumar | Lyrics - Sahir Ludhianvi | Mu
read moreकृतांत अनन्त नीरज...
आकर्षण आपको सिर्फ आकर्षित कर सकता है नष्ट नही नष्ट तो आप तब होते है जब आप आकर्षण की ताकत को अपने "आत्म अनुशासन" की शक्ति से अधिक समझ लेते है... ©कृतांत अनन्त नीरज... #Books
Himachal MC
Main pal do pal ka shair hoon | "Kabhi Kabhie" -1976 | Amitabh Bachchan , Rakhee | Singer - Mukesh | Lyrics - Sahir Ludhianvi | Music Direct
read moreHeer
किताबें बड़ी हसरत लिए बंद अलमारी के शीशों से झांकती किताबें, सोचती होगी पहले जिनसे रोज़ होती थी बातें, अब तो महीनों होती नही मुलाक़ातें। जो रातें गुजरती थी अक्सर साथ में, आज वो कटती है computer के साथ में, देख बड़ी बेचैन रहती हैं किताबें क्योंकि, उन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है। जो किस्से कहानियां वो सुनाती थीं, battery जिनकी कभी न खत्म होती थी, वो झलक अब नजर कही आती नही, रिश्ते रह गए उजड़े उजड़े, घर हो गया अब खाली खाली। जुबां पर ज़ायका आता था जो एक अल्फाज़ निकलता था, अब उँगली click करने से बस एक झपकी गुज़रती है, बहुत कुछ तबाह हो गया और बचा है वो परदे पर खुलता चला जाता है। किताबों से जो काटी जाती थी राते सीने से लिपटे हुए गुजरते थी जो रातें, कभी गोदी में तो कभी घुटनों के बल बैठ पढ़ते थे, कभी अजीब सी सूरत बनाकर मुस्कुराया करते थे, सजदे में कभी छूते थे जबीं से, जाने कहा को गया वो सुकून Robot के इस जहान में। ©Heer #Books
daisykavi
எம் நூலகபணிக்கு நன்றி. எதிர்மறையான சில மனித மனங்களுக்கு மத்தியில் இல்லாமல், நேர்மறையான நூலக வாசனையில் பயணிப்பது ஒரு சிலாக்கியம்தான் ©daisykavi #Books
daisykavi
எம் நூலகபணிக்கு நன்றி. எதிர்மறையான சில மனித மனங்களுக்கு மத்தியில் இல்லாமல், நேர்மறையான நூலக வாசனையில் பயணிப்பது ஒரு சிலாக்கியம்தான் ©daisykavi #Books