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Suneel Nohara
White सबके अपने अपने दर्द हैं, अपना अफसाना हैं। ये आंसू दर्द के है या खुशी के, नोहरा ये किसने जाना हैं। ©Suneel Nohara किसने जाना हैं, Sethi Ji Anupriya Ashutosh Mishra Anshu writer Sana naaz
किसने जाना हैं, Sethi Ji Anupriya Ashutosh Mishra Anshu writer Sana naaz
read moreneelu
White मेरी नानी एक बात कहती थी पता नहीं क्यों कहती थी .... नौटंकी क्यों नहीं करते... पर एक शर्त है अच्छे से क्यों नहीं करते ©neelu #good_night मेरी #नानी एक बात #कहती थी पता नहीं #क्यों #कहती थी .... #नौटंकी क्यों नहीं करते... पर एक #शर्त है #अच्छे से क्यों #नहीं करते
Rahul Raj Patel
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!! फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!! नहीं जरूरत, बूढ़ों की अब, हर बच्चा, बुद्धिमान बहुत है!! उजड़ गए, सब बाग बगीचे, दो गमलों में, शान बहुत है!! मट्ठा, दही, नहीं खाते हैं, कहते हैं, ज़ुकाम बहुत है!! पीते हैं, जब चाय, तब कहीं, कहते हैं, आराम बहुत है!! बंद हो गई, चिट्ठी, पत्री, व्हाट्सएप पर, पैगाम बहुत है!! झुके-झुके, स्कूली बच्चे,बस्तों में, सामान बहुत है!! नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!! सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!! ©Rahul Raj Patel "अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!! #rahul #kishan karn #nandkishor
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!! #Rahul #kishan karn #Nandkishor
read moreवैभव जैन
White 🧓वो मेरी नानी थी🧓 मेरे बचपन मेरी गर्मियों की वो राजधानी थी भूलती नहीं कांच की चूड़ी वो मीठी लोरी थी हर पाठ सिखाई वो ही तो घर की महारानी थी वो मेरी नानी थी ।।1।। परायों को अपनाती वो खुशियां अपनी देती थी वो झूठा गुस्सा करके धीरे से मिठाई खिलाती थी चेहरे पर झुर्री नहीं हां कान में थोड़ी परेशानी थी वो मेरी नानी थी ।।2।। बचपन गया आई जवानी बदली नहीं राजधानी थी साझा नहीं किया दर्द सादगी जानी पहचानी थी चली गई आज छोड़ के अब हर चीज बेगानी थी वो मेरी नानी थी ।।3।। "गुरु प्रशस्त"कहे साथ नहीं नानी उनकी यादें संजोना "वैभव"किस्मत वालों हो मां जैसे नानी का प्यार मिलना ©वैभव जैन #वो मेरी नानी थी
वो मेरी नानी थी
read moreARTIST VIP MISHRA
जैसे राम भगवान ने आज के दिन बुराई पर विजय पाई थी वैसे भगवान भी तुम्हें बुराई पर विजय दिलाएंगे
read moreranjit Kumar rathour
थी बातूनी सी उसकी बक बक से सब रहते थे परेशान लेकिन वो बेहतरीन थी जरूरत थी उसके मनोबल क़ो बढ़ाने कि उम्मीद खूब आगे जाना बाबू मेरा आशीर्वाद तुम्हे ताउम्र होगा हाँ होगा ©ranjit Kumar rathour थी एक बक बक
थी एक बक बक
read moreranjit Kumar rathour
थी एक दोस्त (दीपा ) ************* किसकी बात कर रही हो अरे यार दोस्त के बारे ऐसा नहीं कहते हा यही तो दुख हैँ अब दीपा नहीं रही... सन्न थे ग्रुप के सभी दोस्त सहेलियां थे हम बचपन से जवानी तक साथ रहे है हम फिर अपनी दुनिया मे गुम रोज घर परिवार पुराने दिनों के किस्से कहानिया थोड़ी मस्ती और शरारत और फिर एक दिन डरा देने वाली खबर किसी ने लिखा पता है अपनी शैतान बीमार है वो बड़ी परेशानी मे है हम पांच सहेलियों मे से एक सबने दुआएं कि बोला यार तू घबराना मत हिम्मत रखना डार्लिंग! तू तो हम सबकी जान है तुझे कुछ नहीं होगा लेकिन एक दर्द उभरा चंद दिन पहले लिखा नहीं डिअर अब मेरा समय करीब है और फिर एक सितम्बर आज़ ही के दिन दीपा मेरी जान! हम सबकी पावर हाउस हर बात पर मस्ती शरारत का कोई मौका नहीं छोड़ती नाम भी कितना सुंदर दीपा.. जिसकी जलना ही नियति थी याकायाक बुझ गयी... दोस्त क़ो स्नेह भरा आलिंगन काश! हम सब साथ होते और एक बार फिर गले मिलते एक तस्वीर तेरी पसंद से खिचवाते हा! नियति ने मुझे तुमसे चंद दिन पहले मिलने का मौका दिया था मैं भाग्यशाली हूं.. अपने यार को मिल पाया तू जहाँ भी रहेगी दमकती रहेगी हा हम सारे दोस्त तुम्हे मिस करेँगे हा तुझे..मुझे अपने घर लाने का वादा अधूरा रहा गया माफ़ी चाहती हूं लेकिन तेरी हर बात न्यारी थी यार तू हमारी प्यारी दोस्त थी..सदा रहोगी मगर एक शिकायत ऊपर वाले से इतनी जल्दी भी क्या थी अभी तो दीपा क़ो काफ़ी कुछ सवारना था बाबू के जीवन मे उजाला भरना था ये तेरा न्याय ठीक नहीं.. और भगवान आपसे एक मिन्नत है मेरी ही नहीं हमारी जान क़ो अपने चरणों मे जगह देना बहुत प्यारी है वो हा बहुत प्यारी है तुझे इस कदर लिखना अच्छा नहीं लगता और अब इतनी हिम्मत नहीं कि तुझे और लिख पाऊं... अश्रुपूरित नयन, बेकल मन से तुझे नमन करती। हुँ 🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏 ©ranjit Kumar rathour एक थी दोस्त (दीपा )
एक थी दोस्त (दीपा )
read moreAnjali Singhal
"एक ऐसी लड़की थी, चोट इश्क़ की खाए बैठी थी; और दीवानी ऐसी कि, दर्द दिल में धड़काए बैठी थी। रोती सिसकती सी आवाज़ में, कुछ गुनगुनाए बैठी थी;
read moreबदनाम
उस रात की सियाही में वो अजनबी मिली, जिस्म की ज़रूरत थी, पर रूह छू गई। ©बदनाम जिस्म की ज़रूरत थी
जिस्म की ज़रूरत थी
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