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Dr. H(s)uman , Homoeopath
उसके व्यक्तित्व और मेरे गंतव्य स्थल में एक समानता थी कि उसके हृदय रूपी रास्तों से जब भी गुजरती तो उसमें एक सरलता और सहजता महसूस होती थी । ©Dr. H(s)uman , Homoeopath #सरल प्रेम
#सरल प्रेम
read moreबेजुबान शायर shivkumar
तेरी एक् झलक ©बेजुबान शायर shivkumar तेरी एक #झलक से मेरी ये दुनिया बदल जाती है, तू न हो पास तो मेरी ये #धड़कन रुक सी जाती है । तुम्हारी एक वो #मुस्कान से मेरी ये #साँसें
Ashtvinayak
सीधी सरल नहीं हैं जिंदगी की राहें .. शायरी हिंदी हिंदी शायरी दोस्ती शायरी शायरी attitude
read moreBanarasi..
बनारसी ...... ©Banarasi.. 💭 क्या कभी आपको ऐसा महसूस हुआ है कि जीवन की कठिनाइयों से डरकर हमने कई मौके खो दिए हों? 💭 क्या प्रेम के भावों को समझना हमेशा इतना सरल होता है
💭 क्या कभी आपको ऐसा महसूस हुआ है कि जीवन की कठिनाइयों से डरकर हमने कई मौके खो दिए हों? 💭 क्या प्रेम के भावों को समझना हमेशा इतना सरल होता है
read moreAnkur tiwari
White जानती हो तुम्हारा मैसेज आते ही मैं झट से रिप्लाई कर देता हूं तुम्हारे ऑनलाइन आने के इंतजार में जगा रहता हूं तुम जब कभी लाईक करती हो मेरी इंस्टा स्टोरीज को उस दिन मैं दिनभर एक अलग ही ख़ुशी में डूबा रहता हूं जानती हो पूरी स्टोरी पढ़े नीचे कैप्शन मे.......👇 ©Ankur tiwari #GoodMorning जानती हो तुरंत रिप्लाई कर देने का मतलब शायद तुम्हे लगता हो कि मैं निठल्ला निकम्मा आवारा बैठा रहता हूं दिनभर पर व्यस्त रहने औ
#GoodMorning जानती हो तुरंत रिप्लाई कर देने का मतलब शायद तुम्हे लगता हो कि मैं निठल्ला निकम्मा आवारा बैठा रहता हूं दिनभर पर व्यस्त रहने औ
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।। मूक बधिर हम सब बने , देख रहे हैं कृत्य । गली-गली शैतान वह , हमें दिखाता नृत्य ।। सरल यही अब राह है , जला सभी लो मोम । याद भला कब तक रहे , तुम्हें नाथ का ओम ।। याद किसी को है नही , सत्य सनातन ओम । बुझे पड़े है कुंड सब , कही न होता होम ।। जला-जला के मोम को , देते रहो प्रमाण । हम निर्बल असहाय हैं , हर लो मेरे प्राण ।। पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान । निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
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