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Er.Santosh Sinha
कभी अगर हम बिछड़ गए तो मुझको याद करोगी क्या ..? #nojohindi Poetry हिंदी कविता
read moreRakesh Songara
बचपन की यादें किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,, वो खेल-खिलौने कागज़ के,मिट्टी के बर्तन, बेवजह क्यूँ याद आ गए,,, वो बेपरवाह बदमाशियां,अठखेलियां, शरारतें सारी,, टूटी फूटी,रंगबिरंगी चूड़ियां प्यारी,, माटी के घरौंदे में घर-घर का खेला,, वो तीज़ त्योहार, गणगौर का मैला,,, वो कुल्फ़ी की चुस्कियों से जुबां की लाली,, मदारी के डमरू पे बजती वो ताली,, अनोखे वो दिन वो बातें पुरानी पता नहीं क्यों याद आ गए,,, किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,, सावन के झूलों में घण्टों लटकना,, वो बारिश की बूंदों में छम-छम रपटना,,, फ़टे कपड़ों में भी खुशियां समेटे, वो रेहड़ी से केलों के गुच्छे झपटना,, था जिंदादिल अब से वो बचपन का मौसम, अब तो हर सांस पे लगता है राशन,, चोट खाके भी हँसने के किस्से पता नही क्यों याद आ गए,,, किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,,,,, राकेश सोनगरा, सरदारशहर ©Rakesh Songara #बचपन
Sunil Raniawala
White मेरा बचपन मुझसे दो बार छीना गया ,पहली दफा तब जब मेरा दाखिला माँ को गोद से हटाकर स्कूल में हुआ और दूसरी दफा तब जब तुमने मेरा साथ छोड़ा..। ©Sunil Raniawala #बचपन
Vandana Rana
White बचपन में कहते थे कि हम अपने जुनून के पीछे भागेंगे, क्या पता था कि सिर्फ़ बचपन वाले सुकून के पीछे भागेंगे। ©Vandana Rana बचपन में कहते थे कि हम अपने जुनून के पीछे भागेंगे, क्या पता था कि सिर्फ़ बचपन वाले सुकून के पीछे भागेंगे।
बचपन में कहते थे कि हम अपने जुनून के पीछे भागेंगे, क्या पता था कि सिर्फ़ बचपन वाले सुकून के पीछे भागेंगे।
read moreSatish Kumar Meena
बचपन कितना हसीन होता है जिसमें तन,मन दिमाग सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है बस! स्वतंत्र रूप से अपने क्रिया कलापों को आनंद से करना। ©Satish Kumar Meena बचपन
बचपन
read moreDinesh Sharma Jind Haryana
White नींद तो बचपन में आती थी अब तो थककर सो जाते हैं ©Dinesh Sharma Jind Haryana # बचपन
# बचपन
read moreSarkaR
White सपने भी हम अपने काबिलियत से देखते है वरना लोग इनको भी नीलाम कर देते ©SarkaR #सपने
SarkaR
White जागते हुए भी हम कभी-कभी कुछ इस तरह सो जाते हैं खुली आंखों से देखते हैं सपने और जिंदगी में खो जाते हैं ©SarkaR #सपने
Mohan Sardarshahari
White मोहिनी सूरत मित भाषी ज्यादा लिखूं लगे आभासी खोलूं आंखें नजर न आये बंद आंखों में वही समाये। लाज के मारे दफन सीने में नजाकत नहीं इस जीने में नींद हमारी सपने तुम्हारे राज बस शब्दों में जाये उकेरे। भटक-भटक अटक-अटक जीवन जाये लटक-लटक बिन तेरे लोग कहते मैं जी रहा सटक-सटक।। ©Mohan Sardarshahari सपने तुम्हारे
सपने तुम्हारे
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