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हिमांशु Kulshreshtha
White हादसे इस क़दर हुए एक उम्र में साथ मेरे, हाल सुनाने को फ़िर से एक उम्र चाहिए…!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha इस क़दर
इस क़दर
read moreZiya
#lonely Love #happypromiseday Anonymous लेख श्रृंखला Bhardwaj Only Budana Deep isq Shayri #lover अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''
read moreZiya
#nojohindi Love Rakesh Nishad अदनासा- लेख श्रृंखला अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''! Anonymous
read moreSatish Kumar Meena
काश इस दिवाली काश! इस दिवाली प्रेम और सौहार्द से एक दूसरे से मिल जुलकर ,एक साथ दिए की दिवाली और मिठाइयों के संग, गरीबों को बरकत देकर मां लक्ष्मी जी की पूजा का आह्वान कर दिवाली मनाएं। ©Satish Kumar Meena काश! इस दिवाली 🪔
काश! इस दिवाली 🪔
read morePinki
White मर गये हम,मर गई तासीर..... चलती हैं महज़ सांसो की जंजीर..!!! न जाने कब निकल गये हम से तुम, फिलहाल तन्हा तकदीर इश्क में फ़कीर....!!! 🥺🥺🥺 ©Pinki sad shayari Anshu writer Ravi Ranjan Kumar Kausik Bhardwaj Only Budana अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''! rolisingh Anshu writer
sad shayari Anshu writer Ravi Ranjan Kumar Kausik Bhardwaj Only Budana अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''! rolisingh Anshu writer
read moreParasram Arora
White इस लम्बे सफऱ मे चलते चलते पाँव इतने थक चुके है कि अब बैठ कर अपने छालो को गिनना भी संभव नही ये तों वैसा ही है जैसे कि पेट भरा हो और कोई अपने निगलें हुए निवालो को गिनने की कोशिश करें ©Parasram Arora इस लम्बे सफऱ मे
इस लम्बे सफऱ मे
read moreRabindra Prasad Sinha
White हे प्रभु, किसी हत्यारे को सब कुछ देना मगर मृत्यु मत देना किसी बलात्कारी को फूलों का गलीचा देना मगर हर फूल उसे बर्छी भाले की तरह चुभे हर आदमी को प्रेम करने का वह सलीका देना कि युद्ध भूमी में भी कर सके प्रेम ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
#अ आ
read moreRabindra Prasad Sinha
White गणपति बप्पा मोरिया देश में ये क्या होरिया रात तो मुफ्त में दागी है दिन में नहीं क्या होरिया काली लक्ष्मी हँसी खुशी है खून पसीना रोरिया महाकाल की नगरी में नर रेप का विडिओ बनारिया बप्पा तुम कब आओगे शिव के गण सब रोरिया ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
#अ आ
read moreShashi Bhushan Mishra
छपते-छपते रह गया, बचते-बचते बह गया, चश्मदीद था एक अदद, जाते-जाते कह गया, मौत के साये में चुप था, दर्द ज़माने का सह गया, मिट्टी का जर्जर घर था, इस बारिश में ढह गया, छोड़ गया घर-आंगन सूना, मुद्दों से कर सुलह गया, पता ठिकाना बता कोई, जाने कौन सी जगह गया, मिटा गया रंजिशें तमाम, 'गुंजन' लेकर कलह गया, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra #इस बारिश में ढह गया#
#इस बारिश में ढह गया#
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