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Stories related to फलफूलको रस

IG @kavi_neetesh

*मनहरण घनाक्षरी* ==================== प्रातकाल जागकर रवि को नमन कर, *हृदय आनंद भर सब मुसकाइए* | व्यस्त हैं मनुज सभी

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Rakesh frnds4ever

#तुझको जो पा जाऊं मैं #धन_दौलत से भर जाऊं मैं काश तू #दुल्हन बनकर आए जीवन में,,, दुनिया की तरह मेरी भी दुनिया हो जाए हसीन,, पा कर तेरे_

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Shiv Narayan Saxena

#Buddha_purnima रस में डूबे बोल.....

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White किसी को भी  भाते नहीं, तीखे कड़वे बोल।
सम्बन्धों को ठीक नहीं, स्वार्थ में डूबे बोल।।

पछताये कुछ  बोल के, समझै न जो मोल।
मनमुटाव को खत्म करैं, रस में डूबे बोल।।

©Shiv Narayan Saxena #Buddha_purnima रस में डूबे बोल.....

Ravendra

काव्य रस बिखरने आएंगे अनामिका

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जनकवि शंकर पाल( बुन्देली)

#श्रंगार रस

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Rimpi chaube

#मेरी_प्यारी_भाषा_हिन्दी मां ने जिस भाषा में मुझको,दुनियादारी सिखलाई। मां को मां ही क्यूं कहते,इस बात की समझी गहराई। अपनापन का बोध कराती मे

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White 
मां ने जिस भाषा में मुझको,दुनियादारी सिखलाई।
मां को मां ही क्यूं कहते,इस बात की समझी गहराई।
अपनापन का बोध कराती मेरी प्यारी भाषा हिंदी,
भावों को भावों में पिरोकर,जो भावपूर्ण है कर पाई।।
निज भाषा उन्नति की द्योतक,अन्य में न जिह्वा रस पाई।
हिंदी सिर्फ भाषा नही,ये मां के आंचल–सी सर पे छाई।।

समस्त जन को हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई।

©Rimpi chaube #मेरी_प्यारी_भाषा_हिन्दी 
मां ने जिस भाषा में मुझको,दुनियादारी सिखलाई।
मां को मां ही क्यूं कहते,इस बात की समझी गहराई।
अपनापन का बोध कराती मे

संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

राधा रानी के 28 नाम के जप मात्र से जीवन की सभी व्याधि नष्ट हो जाती है, राधे राधे 🙏 . . राधा रासेश्वरी रम्या कृष्णमन्त्राधिदेवता। सर्वाद्या

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Shatrughan Devpuria

एक मधुमक्खी का जीवनकाल का संपूर्ण कार्य सिर्फ एक चम्मच शहद बनाने में जाता है। लगभग 60,000 मधुमक्खियां मिलकर 55,000 मील की दूरी तय करती हैं औ

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के

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कुण्डलिया छन्द :-

राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम ।
आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।।
तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले ।
फिर यमुना के तीर , प्रेम के वह रस घोले ।।
ग्वाल-बाल का साथ , करे जिनका दुख आधा ।
वह ही है घनश्याम , चली जिनके सह राधा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :-

राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम ।
आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।।
तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले ।
फिर यमुना के
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