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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी कुकर्मो अधर्मी ने पापाचार से मानवता की धारा कलंकित कर डाली है हैवानियत की हदे बढ़ा दी है नवरात्रि पर नव माता की आराधना करते वही अश्लीलता औऱ नज़रो से शील नारी और स्त्री का भंग करते है हर नारी देवी है शक्तिस्वरूपा है नर को हर रूप में संबल देती मगर आज उसी को हवस का शिकार बनाते फिर यह कैसा दुर्गा काली का सम्मान है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #navratri फिर यह कैसा, दुर्गा काली का सम्मान है #nojotohindi
#navratri फिर यह कैसा, दुर्गा काली का सम्मान है #nojotohindi #कविता
read moreVishalkumar "Vishal"
जब तक भाषा का सम्मान नहीं करोगे तब भाषाएं तुमको परेशान करती रहेगी। ©Vishalkumar "Vishal" हर भाषा का सम्मान करो ।
हर भाषा का सम्मान करो । #शायरी
read moreKamlesh Kandpal
ये सोचता हूँ मै अक्सर जो आता है मुझे नजर ये धरती, या ये आकाश सूर्य का अदभुत प्रकाश चंदा गोल,टीमटिमाते तारे बनाये ये सब,किसने सारे ठंडी, गर्मी औऱ ये बरसात लू के दिन,अमावस की रात पाने की खुशी, खोने का डर ये सोचता हूँ मै अक्सर जो आता है मुझे नजर ©Kamlesh Kandpal #प्रकृति का सौंदर्य हिंदी कविता
#प्रकृति का सौंदर्य हिंदी कविता
read moreAshvani Kumar
सम्मान की बात आए तो गुस्सा यहां के लौड़ों के सर पर है, अपने पे उतर आएं तो कर देते हालात बद से बद्तर है, हमारा भौकाल कितना कट्टर है, की आओ कभी कानपुर तुमको बताएं की कैसा UP78 है।। ©Ashvani Kumar सम्मान
सम्मान #Shayari
read moreDR. LAVKESH GANDHI
White शिक्षक एक चरित्रहीन व्यक्ति को जब समाज या विभाग सम्मानित या महिमामंडित करता है तब उस समाज या विभाग का पतन निश्चित होता है | ©DR. LAVKESH GANDHI #teachers_day # # शिक्षक का सम्मान #
teachers_day # # शिक्षक का सम्मान #
read moreRamnik
White जब रिश्तों में सम्मान मांगना पड़े या लड़ना पड़े तो समय आ गया है ऐसे रिश्तों को छोड़ने का, खुद को सम्मान देने का। ©Ramnik #सम्मान
Kavya Suryavanshi
White शब्द पुरुष - मेरा गुस्सा बोहोत खराब है, मैं डरता हूं कभी तुम पर हाथ ना उठा दूं ! स्त्री - क्या तुम्हारा गुस्सा शिव जी के तांडव से भी ज्यादा है ? पुरुष - नहीं उनके गुस्से के आगे मेरी क्या औकात ! स्त्री - तो क्या तुमने कभी सुना है कि पूरी दुनिया को एक पल मे समाप्त करने की क्षमता रखने वाले शिव ने कभी अपनी अर्धांगिनी पर हाथ उठाया ? शिव जी ने तो अपनी पत्नी के गुस्सा होने पर( प्रचंड रूप) में आने पर उनके कदमों में लेटकर उन्हें शांत किया है, लड़कर नहीं ! अर्थात - स्त्री का सम्मान सदैव सर्वोपरि है ! ©Kavya #स्त्री का सम्मान