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Neel
White दावे बहुत मिले...मुझे पहचानते हैं लोग, दिल से ज़रा पूछे...क्या ही जानते हैं लोग। हज़ार बार टूटकर...फिर से जुड़ा हूं पर.. हर बार तोड़कर भी...बुरा मानते हैं लोग। 🍁🍁🍁 ©Neel बुरा मानते हैं लोग🍁
बुरा मानते हैं लोग🍁
read moreEmotion Love
दिल है कि मानता नहीं ❤️❤️💕💕❤️❤️ शायरी दर्द शायरी लव शायरी हिंदी शायरी लव रोमांटिक हिंदी शायरी
read moreRaman Khaitan
जब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों की वजह दूसरों को मानते है, तब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों को मिटा नहीं सकते.
read moreusFAUJI
White 🇮🇳🇮🇳भारत का "रतन"🇮🇳🇮🇳 *मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं, तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।"* जब एक टेलीफोन साक्षात्कार में भारतीय *अरबपति रतनजी टाटा* से रेडियो प्रस्तोता ने पूछा: "सर आपको क्या याद है कि आपको जीवन में सबसे अधिक खुशी कब मिली"? रतनजी टाटा ने कहा: "मैं जीवन में खुशी के चार चरणों से गुजरा हूं, और आखिरकार मुझे सच्चे सुख का अर्थ समझ में आया।" पहला चरण धन और साधन संचय करना था। लेकिन इस स्तर पर मुझे वह सुख नहीं मिला जो मैं चाहता था। फिर क़ीमती सामान और वस्तुओं को इकट्ठा करने का दूसरा चरण आया। लेकिन मैंने महसूस किया कि इस चीज का असर भी अस्थायी होता है और कीमती चीजों की चमक ज्यादा देर तक नहीं रहती। फिर आया बड़ा प्रोजेक्ट मिलने का तीसरा चरण। वह तब था जब भारत और अफ्रीका में डीजल की आपूर्ति का 95% मेरे पास था। मैं भारत और एशिया में सबसे बड़ा इस्पात कारखाने मालिक भी था। लेकिन यहां भी मुझे वो खुशी नहीं मिली जिसकी मैंने कल्पना की थी. चौथा चरण वह समय था जब मेरे एक मित्र ने मुझे कुछ विकलांग बच्चों के लिए व्हीलचेयर खरीदने के लिए कहा। लगभग 200 बच्चे। दोस्त के कहने पर मैंने तुरंत व्हीलचेयर खरीद ली। लेकिन दोस्त ने जिद की कि मैं उसके साथ जाऊं और बच्चों को व्हीलचेयर सौंप दूं। मैं तैयार होकर उसके साथ चल दिया। वहाँ मैंने इन बच्चों को अपने हाथों से ये व्हील चेयर दी। मैंने इन बच्चों के चेहरों पर खुशी की अजीब सी चमक देखी। मैंने उन सभी को व्हीलचेयर पर बैठे, घूमते और मस्ती करते देखा। यह ऐसा था जैसे वे किसी पिकनिक स्पॉट पर पहुंच गए हों, जहां वे बड़ा उपहार जीतकर शेयर कर रहे हों। मुझे अपने अंदर असली खुशी महसूस हुई। जब मैंने छोड़ने का फैसला किया तो बच्चों में से एक ने मेरी टांग पकड़ ली। मैंने धीरे से अपने पैरों को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन बच्चे ने मेरे चेहरे को देखा और मेरे पैरों को कस कर पकड़ लिया। मैं झुक गया और बच्चे से पूछा: क्या तुम्हें कुछ और चाहिए? इस बच्चे ने मुझे जो जवाब दिया, उसने न केवल मुझे झकझोर दिया बल्कि जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण को भी पूरी तरह से बदल दिया। इस बच्चे ने कहा: *"मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं, तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।"* #रतन_टाटा #ratantata #RIP #मानवतावादी ©usFAUJI #Ratan_Tata #RIP #मानतावादी #usfauji
#Ratan_Tata #RIP #मानतावादी #usfauji
read moreVs Nagerkoti
White जरुरी नहीं की हर कोई आपसे बदले की भावना रखे। वैसे भी इतना वक्त किसके पास है । कई बार आपके साथ जो भी होता है वो आपके द्वारा किए गए कर्मों की ही सजा होती हैं । जब इश्वर ने भी स्वयं ये सजा झेली है। तो फिर आप क्या चीज है । इसलिए जब भी आपके जीवन मै बुरा वक्त आए तो ये जरूर सोचें कि आंखिर गलतियां कहां पर हुई है । कई बार हम गलत नहीं होते ये हमारा इम्तिहान भी होता है । जिसके जरिए हम कुछ सीख रहे होते है । कुछ खास बातें,,, ©Vs Nagerkoti #Sad_Status कुछ ख़ास बातें,, जब आप किसी को कुछ देते हैं वापस लेकर ही मानते हैं । तो आपके कर्मो का भुगतान कोन करेगा,,,,
#Sad_Status कुछ ख़ास बातें,, जब आप किसी को कुछ देते हैं वापस लेकर ही मानते हैं । तो आपके कर्मो का भुगतान कोन करेगा,,,,
read moreharsha mishra
White जन्मभूमि राम की, राम को ना जानते। कुछ मंदबुद्धि है यहां, जो राम को ना मानते । जन्म भूमि राम की, और राम को न जानते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां , जो राम को ना मानते । रघुकुल की एक मर्यादा थी, वचनों पर जीवन सादा थी। दुःख की सीमा का अंत नहीं सुख जैसे आधा आधा थी। खुद भगवन जिसके कायल थे ये उन पर कीच उछालते। कुछ मंद बुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते। जो शिव धनुष को तोड़े थे, जो सबको पीछे छोड़े थे। जो शिव धनुष को तोड़े थे, जो सबको पीछे छोड़े थे। कुछ मानवी पिशाच हैं, जो देव को ललकारते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते । जो लांघ गई अग्नि को, जो धरती में विलीन है। जो लांघ गई अग्नि को, जो धरती में विलीन है। यह मांगते हैं साक्ष्य, और अंजाम को न जानते । कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते । जो धू - धू करके जल गई , वह लंका भी एक गाथा है । जो धू धू करके जल गई, वह लंका भी एक गाथा है । कलयुग के रावण तुम सुन लो, हमें मजा चखाना आता है। जिसके वीर भक्त हनुमान हुए, तुम उनको ना पहचानते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते। थे राजपूत पर दंभ न था, वानर, केेंवट भी मित्र हुए। पग जहां जहां भी राम धरे धरती से नभ सब इत्र हुए। गुणगान नहीं कर सकते हैं, ये अपनी राग आलापते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते। कुछ मंद बुद्धि हैं यहां, जो खुद को ना पहचानते। ये श्री राम को ना जानते। हर्षा मिश्रा ©harsha mishra ये श्री राम को ना मानते,,,,,,
ये श्री राम को ना मानते,,,,,,
read moreVinod Mishra