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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- तीखे-तीखे नैन से , क्यों करती हो वार । हम तो तेरे हो चुके , पहनाओ अब हार ।। इस जीवन में आप पर , बैठा ये दिल हार । लगकर सीने से कहो #कविता

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दोहा :-
तीखे-तीखे नैन से , क्यों करती हो वार ।
हम तो तेरे हो चुके , पहनाओ अब हार ।।

इस जीवन में आप पर , बैठा ये दिल हार ।
लगकर सीने से कहो , हुआ हमें भी प्यार ।।

करता हूँ मैं आज कल , छोटा सा व्यापार ।
लेना देना दिल यही , अपना कारोबार ।।

कुछ तो मेरी भी सुनो , अब मेरे दिलदार ।
भर दो झोली आज यह , पड़ा तुम्हारे द्वार ।।

कब तक बैठा मैं रहूँ , बोलो अब सरकार ।
पहनाओ मुझको गले , इन बाँहों का हार ।।

महकी महकी यह फिजा , महकी आज बहार ।
अब तो तेरे नाम से , यह जीवन उजियार ।।

अब तो इतनी हैं सनम , मेरी भी दरकार ।
तेरी बाहों का प्रखर , पड़े गले में हार ।।                 महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
तीखे-तीखे नैन से , क्यों करती हो वार ।
हम तो तेरे हो चुके , पहनाओ अब हार ।।

इस जीवन में आप पर , बैठा ये दिल हार ।
लगकर सीने से कहो

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- विषय  हिंदी  हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब #कविता

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White दोहा :- विषय  हिंदी 
हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार ।
हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।।
जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार ।
अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।।
गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार ।
हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।।
वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार ।
बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।।
कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार ।
तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।।
हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद ।
गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द ।
हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान ।
हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।।
सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार ।
आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।।
हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान ।
ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- विषय  हिंदी 
हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार ।
हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।।
जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार ।
अब

N S Yadav GoldMine

#love_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} समाज में जीवन जीने के लिए, परिवार को चलाने के लिए, व्यापार सम्बन्धित कार्य करना परम् आवश्यक है, लेकिन #मोटिवेशनल

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
समाज में जीवन जीने के लिए,
परिवार को चलाने के लिए,
व्यापार सम्बन्धित कार्य करना
परम् आवश्यक है, लेकिन धर्म
विरुद्ध बिल्कुल नहीं होना चाहिए,
सदा सुख व शांति बनी रहती है।
N S Yadav GoldMine.

©N S Yadav GoldMine #love_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey}
समाज में जीवन जीने के लिए,
परिवार को चलाने के लिए,
व्यापार सम्बन्धित कार्य करना
परम् आवश्यक है, लेकिन

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#World_Photography_Day ©आजकल जो करते हैँ इश्क़ जिस्म के व्यापार मे,बमुश्किल मिलते है मुखलिस इस फ़िज़िकल बयार मे//१ अब नहीं मिलते मुखलिस यार इश #Live #Like #writersofindia #poetsofindia #shamawritesBebaak

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ ,  भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर, #कविता

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गीत :-
आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।
कर्ज बैंक का सर के ऊपर, खून बेचकर उसे चुकाऊँ ।।
आजादी का दिवस मनाऊँ....

सरकारें करती मनमानी , 
पीने का भी छीने पानी ।
कैसे जीते हैं हम निर्धन ,
 कैसे तुमको व्यथा सुनाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

मैं ही एक नहीं हूँ निर्धन , 
आटा दाल न होता ईर्धन ।
जन-जन का मैं हाल सुनाऊँ , 
आओ चल कर तुम्हें दिखाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

शिक्षा भी व्यापार हुई है , 
महँगी सब्जी दाल हुई है
आमद हो गई है आज चव्न्नी, 
कैसे घर का खर्च चलाऊँ । आजादी का दिवस मनाऊँ...

सभी स्वस्थ सेवाएं महँगी ,
जीवन की घटनाएं महँगी ।
आती मौत न जीवन को,
फंदा अपने गले लगाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

ज्यादा हुआ दूध उत्पादन,
बिन पशु के आ जाता आँगन ।
किसको दर्पण आज दिखाऊँ 
दिल कहता शामिल हो जाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ.....
आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-


आजादी का दिवस मनाऊँ ,

 भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।

कर्ज बैंक का सर के ऊपर,

Sarfaraj idrishi

#sad_shayari तुमने बिकना है तो व्यापार भी हो सकता है चाहने वाला खरीदार भी हो सकता है तू अभी अपने दुशमन को शक की निगाहो से ना देख तेरा कातिल #Life

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White तुम्हारे बिकने का तो व्यापार भी हो सकता है
चाहने वाला खरीदार भी हो सकता है 
तू अभी अपने दुशमन को शक की निगाहो से ना देख
 तेरा कातिल तो तेरा  कोई यार भी हो सकता।

©Sarfaraj idrishi #sad_shayari तुमने बिकना है तो व्यापार भी हो सकता है

चाहने वाला खरीदार भी हो सकता है तू अभी अपने दुशमन को शक की निगाहो से ना देख तेरा कातिल

Natural Fitness

व्यापार और व्यवहार #ashathegoldenbird #वीडियो

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

आओ करे प्रकृति संरक्षण :- गीत आओ करें प्रकृति संरक्षण , मन में उठा विचार । नहीं काटना वृक्षों को अब , ले करके हथियार ।। आओ करे प्रकृति संरक #कविता

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White आओ करे प्रकृति संरक्षण :- गीत

आओ करें प्रकृति संरक्षण , मन में उठा विचार ।
नहीं काटना वृक्षों को अब , ले करके हथियार ।।
आओ करे प्रकृति संरक्षण ...

जैसे धरा बनी है जग में , देख अब सृजनहार ।
जो बीज गिरे उन फसलों से , वह अंकुर हैं बार ।।
यह प्रमाण न परिणाम है , सुनो है चमत्कार ।
आओ धरती माँ से सीखे , करना यह व्यवहार ।।
नहीं काटना वृक्षों को अब ..

एक-एक पौधे जो रोपे , होंगे लाख हजार ।
तभी बनेगी सृष्टि हमारी ,  जीवन का आधार ।।
इस धरती के संग सभी , पोषित हो इस बार ।
यही कामना मन में लेकर , दिया वृक्ष उपहार ।।
आओ करें प्रकृति संरक्षण ....

छोटे बड़े लगाओ पौधे , सबको दो स्थान ।
दूब धतूरा शरपत कासा , सबका अपना मान ।।
सब ही जीवन अंग बने हैं ,मन से कर स्वीकार ।
प्रभु ने मानव रूप दिया है , करो नही व्यापार ।
आओ करे प्रकृति संरक्षण ....

आओ करें प्रकृति संरक्षण , मन में उठा विचार ।
नहीं काटना वृक्षों को अब , ले करके हथियार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आओ करे प्रकृति संरक्षण :- गीत

आओ करें प्रकृति संरक्षण , मन में उठा विचार ।
नहीं काटना वृक्षों को अब , ले करके हथियार ।।
आओ करे प्रकृति संरक

Ravendra

भारत नेपाल बार्डर पर 72,000/- भारतीय नकली रूपयों के साथ एक गिरफ्तार रूपईडीहा थाने के प्रभारी निरीक्षक शमशेर बहादुर सिंह के नेतृत्व में गठित #वीडियो

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- स्कूल सभी सरकार के , होने दो अब बन्द । बच्चे सब निर्गुण दिखे , शिक्षक ले आनंद ।। मातु-पिता क्यों शिष्य के , आज हुए है खिन्न । शिक्षा #कविता

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White दोहा :-
स्कूल सभी सरकार के , होने दो अब बन्द ।
बच्चे सब निर्गुण दिखे , शिक्षक ले आनंद ।।
मातु-पिता क्यों शिष्य के , आज हुए है खिन्न ।
शिक्षा स्तर यह किसलिए , बोल हुआ है निम्न ।
कुछ बालक नादान है, मातु-पिता मजबूर ।
कुछ से शिक्षा आज भी , होती कोसो दूर ।।
अब सरकारी स्कूल की , करना मत फरियाद ।
बच्चे प्राईवेट में , रखे नई बुनियाद ।।
दिन आये ये याद क्यों , दिल पे किया प्रहार ।
नौकर बन सरकार के , करते आत्याचार ।।
ऐसे लोगो की यहाँ , कौन करे परवाह ।
जो रख दौलत पास में , करे और की चाह ।।
धन सम्पत व्यापार का , महत्व जो हो बन्द ।
गली-गली फिर देखना, मिल जायेंगे नन्द ।।
ग्वाला अब जग में नही , दिखे रूप इंसान ।
मौका पाते आज जो , बन जाते शैतान ।।
क्षमा याचना कर रहा , गुरुवर से इस बार ।
बुद्धि हीन की आप ही, हाथ रखो पतवार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
स्कूल सभी सरकार के , होने दो अब बन्द ।
बच्चे सब निर्गुण दिखे , शिक्षक ले आनंद ।।
मातु-पिता क्यों शिष्य के , आज हुए है खिन्न ।
शिक्षा
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