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sanjay

Richa Dhar

#MereKhayaal प्रकृति✍🏻✍🏻✍🏻 #कविता

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ANATH SHAYAR

Andy Mann

VED PRAKASH 73

White एकांत में जाने के लिए एक व्यक्ति 
को अपने कमरे से उतना ही दूर 
रहना पड़ता है जितना समाज से 
जब में पढ़ता लिखता हूं तो में 
अकेला नहीं रहता हालांकि उस 
समय मेरे साथ कोई व्यक्ति नहीं 
होता लेकिन अगर कोई व्यक्ति 
अकेला रहना चाहता है तो उसे 
प्रकृति को देखना चाहिए और 
प्रकृति से सीखना चाहिए... 
-वेद प्रकाश

©VED PRAKASH 73 #प्रकृति

Kamlesh Kandpal

#प्रकृति का सौंदर्य हिंदी कविता

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ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर
ये धरती, या ये आकाश
सूर्य का अदभुत प्रकाश
चंदा गोल,टीमटिमाते तारे
बनाये ये सब,किसने सारे
ठंडी, गर्मी औऱ ये बरसात
लू के दिन,अमावस की रात
पाने की खुशी, खोने का डर 
ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर

©Kamlesh Kandpal #प्रकृति का सौंदर्य  हिंदी कविता

Kesh Karan nishad

सौरभ अश्क

White फूलों ने भी
रखी होंगी उपवास
अपने सानिध्य में
आलिंगन करने के लिए
भौरों को।
की होंगी ईश्वर को याद
मांगी होंगी
छोटे समय में 
अपने साथी का प्रेम
आलिंगन होने का साथ।
मजबूर भौरा 
ढूंढता आ पहुंचा होगा
फूलों के पास
इठलाती फूल
भौरों को देख
सहम गई होगी
लाख जतन के बाद
भौरे ने जताई विश्वाश
तब फूल ने
 चुपके चुपके
सौप दी अपनी
द्रवित प्रेम परिहास
आवारा भौरा 
फूल के प्रेम को
समझ न पाया
रसास्वादन कर 
दौड़ पड़ा दूजे
फूलों के पास
वफा के घात पर
परिघात को बर्दास्त न किया
और टूट गई वो डाली से
छोड़ दी अपनी सांस

©सौरभ अश्क #flowers
#प्रेम
#प्रकृति 
#फूलों 
#सौरभ अश्क

Priya Vars

पूर्वार्थ

कोई जब तोड़ दे दिल को,कोई जब छोड़ दे तुमको,तुम्हे मझधार में ला कर,कोई जब मोड़ ले रूख को।
ये दुनिया रंगमंच है इक,करो तुम झूम कर फिर नृत्य,मगन ऐसे हो जाओ तुम, उदासी छोड़ दे तुमको।।
नृत्य जीवन की कला है, नृत्य अनुराग है मन का,नृत्य है प्रेम ईश्वर का, नृत्य है भाव इस तन का।
मन को उन्माद से भर के,करो अल्हाद में तुम कृत्य,नृत्य करता है दिल पावन,नृत्य आनन्द जीवन का।।
नृत्य पैरों की थिरकन है,नृत्य गीतों की धड़कन है,नृत्य रसमय तरंगें हैं, नृत्य भावों की लचकन है।
भूल जाओ नृत्य में सब,करो स्वीकार तुम हर सत्य,नृत्य रंगता है तन मन को,नृत्य जीवन का सृजन है।।
नृत्य उल्लास देता है, नृत्य महाभाव लाता है,नृत्य में झूमते श्री कृष्ण, नृत्य महारास रचता है।
डूबते नृत्य में नटराज,करें आराध्य जिनकी नित्य,नृत्य है संस्कृति अपनी, नृत्य समर्पण सिखाता है।।

©पूर्वार्थ #नृत्य 
#प्रकृति 
#प्रेम
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