Nojoto: Largest Storytelling Platform

New चाहता हूँ कविता का भावार्थ Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about चाहता हूँ कविता का भावार्थ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, चाहता हूँ कविता का भावार्थ.

Stories related to चाहता हूँ कविता का भावार्थ

Praveen Jain "पल्लव"

#love_shayari फुर्सत का हर पल,जबाब कल का चाहता है

read more
White पल्लव की डायरी
फुर्सत का हर पल
जबाब कल का चाहता है
सुख चैन आज का मिले
मगर भविष्य का सपना
सारी मौजे और मस्ती खा जाता है
वो तब है जब आती जाती साँसों से
इकरार नही  पल भर का  है
फिर भी ना जाने इंसान 
बेजान चीजो के लिये
दाँव पर अपनी जिंदगी लगा जाता है
                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #love_shayari फुर्सत का हर पल,जबाब कल का चाहता है

Nishchhal Neer

जब मिलना हो खुद से तो.. प्रकृति से मिल लेता हूँ.. मन की मटमैली यादों को.. पानी से धो लेता हूँ.. निश्छल "नीर" poetry #kavita shayari sha

read more

नवनीत ठाकुर

#प्रकृति का विलाप कविता

read more
जमीन पर आधिपत्य इंसान का,
पशुओं को आसपास से दूर भगाए।
हर जीव पर उसने डाला है बंधन,
ये कैसी है जिद्द, ये किसका  अधिकार है।।

जहां पेड़ों की छांव थी कभी,
अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी।
मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया,
ये कैसी रचना का निर्माण है।।

नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने,
पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है।
प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र,
बस खुद की चाहत का संसार है।
क्या सच में यही मानव का आविष्कार है?

फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है,
सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है।
बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है,
उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है।
 हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है,
किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है,
इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।।

हरियाली छूटी, जीवन रूठा,
सुख की खोज में सब कुछ छूटा।
जो संतुलन से भरी थी कभी,
बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।।
बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, 
विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है।
हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, 
ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है?
ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है?
क्या यही मानवता का सच्चा आकार है?

©नवनीत ठाकुर #प्रकृति का विलाप कविता

Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी

#love_shayari तनहा हूँ अकेला हूँ, अपने मौज मे हूँ, अलबेला हूँ, समझो तो काम का, वरना पत्थर का ढेला हूँ। #कलमसत्यकी ✍️©️ #कलमसत्यकी

read more
White तनहा हूँ अकेला हूँ, 
अपने मौज मे हूँ, 
अलबेला हूँ, 
समझो तो काम का, 
वरना पत्थर का ढेला हूँ। 
#कलमसत्यकी ✍️©️

©Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी #love_shayari तनहा हूँ अकेला हूँ, 
अपने मौज मे हूँ, 
अलबेला हूँ, 
समझो तो काम का, 
वरना पत्थर का ढेला हूँ। 
#कलमसत्यकी ✍️©️ #कलमसत्यकी

Anil Sapkal

गांधी का मरत नाही..# मराठी कविताgandhi गांधी History # मराठी कविता संग्रह

read more

Sarita Kumari Ravidas

#sad_shayari एक घर हों सपनों का Poetry #dream_home प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कोश कविताएं हिंदी कविता

read more
White एक घर हो सपनों का 
आशाओं का उम्मीदो का 
तिनका तिनका जोड़ बना हो जो ख्वाबों सा
सपनों का घर हो जो महलों सा 
हर रिश्ता जो चमके चांद सितारों सा
साथ हों सब अपनों का
एक घर हो सपनों सा

©Sarita Kumari Ravidas #sad_shayari एक घर हों सपनों का #Nojoto #Poetry #dream_home  प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कोश कविताएं हिंदी कविता

kavi Dinesh kumar Bharti

#गोरखपुर का मौसम बारिश पर कविता

read more

Kamlesh Kandpal

#प्रकृति का सौंदर्य हिंदी कविता

read more
ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर
ये धरती, या ये आकाश
सूर्य का अदभुत प्रकाश
चंदा गोल,टीमटिमाते तारे
बनाये ये सब,किसने सारे
ठंडी, गर्मी औऱ ये बरसात
लू के दिन,अमावस की रात
पाने की खुशी, खोने का डर 
ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर

©Kamlesh Kandpal #प्रकृति का सौंदर्य  हिंदी कविता

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- माँग तेरी मैं सज़ाना चाहता हूँ  हाँ तुझे अपना बनाना चाहता हूँ  राह उल्फ़त की बनाना चाहता हूँ  प्यार हर दिल में बसाना चाहता हूँ  आप बिन

read more
ग़ज़ल :-
माँग तेरी मैं सज़ाना चाहता हूँ 
हाँ तुझे अपना बनाना चाहता हूँ 
राह उल्फ़त की बनाना चाहता हूँ 
प्यार हर दिल में बसाना चाहता हूँ 
आप बिन तो इस जहाँ में कुछ नही है 
बात मिलकर ये बताना चाहता हूँ 
दो कदम जो साथ मेरे तुम चलो तो 
इक़ नई दुनिया दिखाना चाहता हूँ 
रोते-रोते रात सारी कट गई यह 
भोर तक तुमको हँसाना चाहता हूँ 
ख़्वाब में आकर करोगे तुम परेशां
नींद पलको से हटाना चाहता हूँ 
बिन तुम्हारे जो गुजारी है यहाँ पर
उसकी हर कीमत चुकाना चाहता हूँ 
भूलकर बातें पुरानी आज तुमको
मैं गले अपने लगाना चाहता हूँ 
फिर न तोड़े कोई ये बंधन वफ़ा का
इस तरह रिश्ते निभाना चाहता हूँ ।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
माँग तेरी मैं सज़ाना चाहता हूँ 
हाँ तुझे अपना बनाना चाहता हूँ 
राह उल्फ़त की बनाना चाहता हूँ 
प्यार हर दिल में बसाना चाहता हूँ 
आप बिन

Beena Kumari

हिंदी कविताशीशे का शहरbeenagordhan

read more
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile