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Abhishek12
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read moreHeer
अब इन आंखों को कोई और जचता ही नहीं हम क्या करे..! तुम्ही कह दो अब ए जाने अदा हम क्या करे..! ❣️ #Videos
read moreबादल सिंह 'कलमगार'
दिल की बातें तुम्ही से कहना है... #badalsinghkalamgar Poetry love #Hindi VED PRAKASH 73 Neel Nitish Tiwary Arshad Siddiqui An #कविता
read moreTRUPTI RANI NAG
White थोड़ी देर हो गई मुझे तुम्हे समझने मे तुम्हे अपना बनाने में थोड़ी देर हो गई मुझे तुम्हारे चहतो को समझने मे वो वादे वो कसमें सबकुछ झूठे थे ना तुम्हारे मुझे देख कर मुस्कुराना भरी महफिल में मुझपर हक जताना वो प्यार वो मोहब्बत के वादे सब झूठे थे ना तुम्हारे हां थोड़ी देर हो गई मुझे बातें समझने में तुम्हारे । ©TRUPTI RANI NAG हमदर्द बना था तुम्हे पर तुम्ही दर्द देकर चालेगए । #yqdidi #yqbaba #Nojoto #Hindi #Quote #YourQuoteAndMine #nojotoquote #Love #Night loves q
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White लावणी छन्द इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया । भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।। सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो चूर हुआ । तब जाकर माँ की गोदी में , सोने को मजबूर हुआ ।। मत कहो काल के चंगुल में , लाल हमारा रपट गया । जाने कितने दुश्मन को वह , पल भर में ही गटक गया ।। सब देख रहे थे खड़े-खड़े , अब उस वीर बहादुर को । जिसके आने की आहट भी , कभी न होती दादुर को ।। पोछ लिए उस माँ ने आँसूँ, जिसका सुंदर लाल गया । कहे देवकी से मिलने अब , देख नन्द का लाल गया ।। तीन रंग से बने तिरंगे , का जिसको परिधान मिले । वह कैसे फिर चुप बैठेगा , जिसको यह सम्मान मिले ।। सुबक रही थी बैठी पत्नी , अपना तो अधिकार गया । किससे आस लगाऊँ अब मैं , जीने का आधार गया ।। और बिलखते रोते बच्चे , का अब बचपन उजड़ गया । कैसे खुद को मैं समझाऊँ , पेड़ जमीं से उखड़ गया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लावणी छन्द इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया । भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।। सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो
लावणी छन्द इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया । भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।। सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो #कविता
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White विधा :-गीत / लावणी छन्द विषय :- सावन आया बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ । सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपने बात लिखूँ ।। बह मत जाये अब यह काज़ल ... तब डालूँ विरवा में झूला , संग तुम्हारे जब झूलूँ । पाकर पास तुम्हें प्रियतम जब ,गदगद होकर मैं फूलूँ ।। अब करके याद तुम्हें निशिदिन, विरहन वाली रात लिखूँ । बह मत जाये अब यह काज़ल.... कितने सावन बीत गये हैं , तुम ही अब बतलाओ तो । रहा अधूरा गीत मिलन का , आकर कभी सुनाओ तो ।। पाकर प्रेम अधूरा तेरा , मैं पगली सौगात लिखूँ । बह मत जाये अब यह काज़ल... देहरी तुम्हारी बैठी मैं , तेरी बाट निहारूँ हूँ । घड़ी-घड़ी अब धड़के जियरा, रह रह तुझे पुकारूँ हूँ ।। आज अधूरी प्रेम कहानी , की वही मुलाकात लिखूँ । बह मत जाये अब यह काज़ल .... बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ । सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपनी बात लिखूँ ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा :-गीत / लावणी छन्द विषय :- सावन आया बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ । सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपने ब
विधा :-गीत / लावणी छन्द विषय :- सावन आया बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ । सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपने ब #कविता
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