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Parasram Arora
Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora कब?
कब?
read morepuja udeshi
Unsplash सो जाओ अगले दिन के इंतज़ार मे अच्छा हैं आप इंसान हैं खूटे से बधे पशु बकरी, भेड़,नहीं, पिजडे मे ठुसे चिकन नहीं,जो हर दिन बेरहमी से काट मार दिए जाते हैं आप की थाली मे पिरसने की खातिर और आप राक्षक उन्हें खाते हैं उनकी चिता की आग से अपना पेट गर्म करते हैं, कैसे लोग हैं आप मासाहरी 👆🏻🤔🤔😥🤢😡 ©puja udeshi #खाना #pujaudeshi
Vs Nagerkoti
White बहुत दूर पहुंचना है वक्त रहते मुझे । कौन जाने राहों पे रात भी हो जाए । कोशिश पूरी करूंगा वहा पहुंचने की क्या पता सफर अधूरा ही रह जाए । ज्यादा बड़ी ख्वाहिशें भी नही मेरी। क्या पता कहीं पर शकून मिल जाय मैं औरों जैसा नहीं जो वैसा ही सोचूं वो जो भी दे उसी मैं आराम मिलता हैं कैसे भी ये इम्तिहान पार कर लूं मैं । क्या पता जन्मों का उद्धार हो जाए। ©Vs Nagerkoti #sad_quotes मुसाफिर खाना
#sad_quotes मुसाफिर खाना
read moreRakesh frnds4ever
White कहना सुनना आखिर कब तक !!??!! सहना सहना आखिर कब तक!!??!! क्रूरताओं और अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी खामोशियां,, आखिर कब तक!!??!! प्रताड़नाओं की मार के आगे दबती सुबकती मेरी सिसकियां,,,, आखिर कब तक!!??!! कहना सुनना आखिर कब तक !?! रोना धोना आखिर कब तक!?! सहना सहना आखिर कब तक!?! जीवन संघर्ष का युद्ध कब तक?!? प्राणों का ये ताना बाना कब तक?!? कब तक आखिर कब तक मैं ही क्यों आखिर कब तक!!???!!!!?? ©Rakesh frnds4ever #कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं
#कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं
read moreShashi Bhushan Mishra
ख़्वाहिश कब लेती मंज़ूरी, रहती मन की बात अधूरी, भाग्य साथ देता तो होती, मनोकामनाएं सब पूरी, दीदावर मिल जाए सच्चा, नर्गिस कभी न हो बेनूरी, लोग मुकर जाते वादे से, रहती होगी कुछ मज़बूरी, मनचाहा मिल जाए कैसे, क़िस्मत के हाथों में छूरी, हरपा हुआ नहीं फल देता, छल प्रपंच से रखना दूरी, जीवन सफ़ल बना देता है, 'गुंजन' श्रद्धा और सबूरी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#
#ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#
read moreShivraj Solanki
White बेबी है दसवी पास इनको दरोगा चाहिए बाप बेचें तरकारी दामाद सरकारी चाहिए लड़की काम में जीरो लड़का हीरो चाहिए बेबी जाती कल्ब बाबू मन्दिर जाने वाला चाहिए पति नही इनको दुम हिलाने वाला कुत्ता चाहिए लडको को क्या चाहिए ढाई किलो का मेकअप नही हुनर चाहिए फॉर्च्यूनर नही बस लड़की में लड़की चाहिए ©Shivraj Solanki दामाद सरकारी चाहिए
दामाद सरकारी चाहिए
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