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Prakhar Tiwari
White **उल्टी बातों का जादू** जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया, जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा। चाँद की जगह सूरज, रात में दिन का छाया, सीधा रास्ता छोड़, घुमावों में पाया। कभी समझना है कठिन, तो उल्टा चलो, खुद से सवाल करो, अपने मन को हलो। दुनिया की रीतियों को, थोड़ी देर छोड़ो, उल्टी बातों में छुपा, नया सबक खोजो। हर उलट-पुलट में, एक नई तस्वीर है, समझने का सफर, कभी न हो अधूरी। इस उल्टी दिशा में, छुपा है ज्ञान का भंडार, बस दिल से सुनो, और खोलो हर दरबार। ©Prakhar Tiwari #sad_quotes **उल्टी बातों का जादू** जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया, जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा। चाँद की जगह सूरज, रात में द
#sad_quotes **उल्टी बातों का जादू** जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया, जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा। चाँद की जगह सूरज, रात में द #Poetry
read moreSatish Kumar Meena
White पक्षियों की उड़ान स्वतंत्र हैं और इंसानों को बंदिशों के दायरे में काम करना पड़ता है क्योंकि एक दूसरे की सरहद पार करना बहुत बड़ा गुनाह है। ©Satish Kumar Meena स्वतंत्रता और बंदिश
स्वतंत्रता और बंदिश #विचार
read moreseema patidar
White कुछ वक्त और ठहर जाओ तो अच्छा होगा जैसे हर पतझड़ के बाद बाग दुबारा खिल उठता है हवा अपना मुख मोड़कर दुबारा उन्ही पेड़ों से लिपट जाती है हर रोज अंधेरे के बाद सूरज की पहली किरण रोशनी ले आती है तुम भी दुबारा उन्ही लम्हों से गुजर जाओ तो अच्छा होगा खुशियों का समुंद्र भर लाओ सुकून के कुछ पल साथ बिता जाओ कितना खोया कितना पाया खुद बता जाओ चले जाते है सब लोग जिंदगी में साथ छोड़कर तुम उम्र भर साथ निभा पाओ तो अच्छा होगा ©seema patidar कुछ वक्त और ......
कुछ वक्त और ...... #Poetry
read moreSuman Banshiwal
White घुट घुट कर जीना सही है क्या? अगर सही है तो सही है, अगर गलत है तो, फिर मरना सही है क्या? अगर सही है तो सही है, अगर गलत है तो, फिर सही है क्या? सही है क्या? ©Suman Banshiwal सही और गलत
सही और गलत #SAD
read moreJashvant
White मैं जिस्म ओ जाँ के तमाम रिश्तों से चाहता हूँ नहीं समझता कि ऐसा क्यूँ है न ख़ाल-ओ-ख़द का जमाल उस में न ज़िंदगी का कमाल कोई जो कोई उस में हुनर भी होगा तो मुझ को इस की ख़बर नहीं है न जाने फिर क्यूँ! मैं वक़्त के दाएरों से बाहर किसी तसव्वुर में उड़ रहा हूँ ख़याल में ख़्वाब ओ ख़ल्वत-ए-ज़ात ओ जल्वत-ए-बज़्म में शब ओ रोज़ मिरा लहू अपनी गर्दिशों में उसी की तस्बीह पढ़ रहा है जो मेरी चाहत से बे-ख़बर है कभी कभी वो नज़र चुरा कर क़रीब से मेरे यूँ भी गुज़रा कि जैसे वो बा-ख़बर है मेरी मोहब्बतों से दिल ओ नज़र की हिकायतें सुन रखी हैं उस ने मिरी ही सूरत वो वक़्त के दाएरों से बाहर किसी तसव्वुर में उड़ रहा है ख़याल में ख़्वाब ओ ख़ल्वत-ए-ज़ात ओ जल्वत-ए-बज़्म में शब ओ रोज़ वो जिस्म ओ जाँ के तमाम रिश्तों से चाहता है मगर नहीं जानता ये वो भी कि ऐसा क्यूँ है मैं सोचता हूँ वो सोचता है कभी मिले हम तो आईनों के तमाम बातिन अयाँ करेंगे हक़ीक़तों का सफ़र करेंगे ©Jashvant एक नज़्म और
एक नज़्म और #Life
read moreRajesh rajak
एक दिन उसने किसी अपने से व्यथित होकर मुझसे पूछा, अब किससे उम्मीद करें? बुढ़ापे में कोई सहारा नहीं दिखता l मैंने उसे समझाते हुए कहा, जब स्वम अपना शरीर साथ छोड़ देता है तो किसी और से उम्मीद करना बेमानी है, इक दिन सब मिट जायेगा जिंदगी तेरी यही कहानी है,,,,,,, ©Rajesh rajak जिंदगी और बुढ़ापा
जिंदगी और बुढ़ापा #विचार
read moreMohan Sardarshahari
आज उसने चांद पर फूलों की माला डाली और तस्वीर मुझे भेज दी अब बताओ जलाया या सपना दिखाया।। ©Mohan Sardarshahari चांद और माला
चांद और माला #विचार
read moreDr. Parwarish
White तुम वक्त लिखना... मैं तकदीर लिख दूंगा....!! मुहब्बत से बड़ा कोई जादू नहीं है जाना, तुम सांस लेना, हवा की तस्वीर लिख दूंगा।। ©Dr. Parwarish मैं और तुम
मैं और तुम #लव
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