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Stories related to narendra modi pen

Narendra meghwal

Narendra kumar

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एक दिन हम कहानी बनकर रह जाएंगे
 बस कोशिश रहे की कहानी अच्छी हो।
अज्ञात

©Narendra meghwal Narendra kumar

BANGLE TIMES

#Modi #Putin

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মোদীর রাশিয়া সফরের আগেই প্রশংসা পুতিনের

সেই সঙ্গে রাশিয়ার প্রেসিডেন্ট এ কথাও জানাতে ভোলেননি যে কবে এই যুদ্ধ শেষ হবে তার কোনও সময়সীমা দেওয়া তাঁর পক্ষে সম্ভব নয়।

প্রশংসায় কখনও অস্বস্তি বাড়ে। আবার প্রশংসা কখনও বিশেষ অর্থবোধক হয়ে ওঠে আন্তর্জাতিক কূটনীতিতে। ব্রিকস বৈঠক শুরু হওয়ার ঠিক আগে রাশিয়ার প্রেসিডেন্ট ভ্লাদিমির পুতিন প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদীর দরাজ প্রশংসা করার পর এমনটাই মনে করছে সংশ্লিষ্ট মহল।

©BANGLE TIMES #Modi #Putin

jayant biswas

happy birthday Modi ji #Modi #PMBirthday

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Narendra meghwal

#Shiva narendra

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White आगर आपको कोई रोकने टोकने वाला है तो उसका अहसान मानिए क्योंकि जिन बागों में माली नहीं होते है अक्सर वो बाग बहुत जल्दी उजड़ जाते है।

©Narendra meghwal #Shiva narendra

Narendra meghwal

Narendra kumar

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vinesh rana

narendra bhakuni

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BANGLE TIMES

Narendra meghwal

narendra meghwal

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aakashsaral

aakash saral Meenakshi Sharma Mukesh Poonia narendra bhakuni Rakesh Srivastava Geeta Modi कविता कोश

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अंधियारों ने छीन ली, है जीने की राह ll
जब अपने कर्त्तव्य से,हुआ कोई गुमराह ll

©aakashsaral aakash saral  Meenakshi Sharma  Mukesh Poonia  narendra bhakuni  Rakesh Srivastava  Geeta Modi  कविता कोश

संगीत कुमार

#pen

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(मनुज कवि बन जाता है) 
जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके
अधरों पे मुसकान रूक जाये 
आँखों से अश्क बन बह जाये
और जब कलपित उर रो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

व्यथा जब अपना न किसी से कह सके
लज्जा से मन भर जाये 
काली रातों की अंधियारी में 
जब सारा भुवन सो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब मन भयभीत हो कुछ कहन सके
पीड़ित हो अपनो से जब
हाथों में कलम उठा लेते हैं 
शब्दों के सरिता में रम जाते हैं 
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

जब सामने अंधेरा छा जाये
अकेला बेसहारा मन होने लगे
तब नैनो के नीर स्याही से 
निज व्यथा को लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

संघर्ष भरा जब जीवन हो
लोगों के बीच समर्पण हो
तब साहित्य में खो जाता है
अपनी भावना उकेर डालता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब भुलेबिसरे याद आये
उर में दर्द की कसक उठे
वेदना से मन काँप जाये
तब हाथो में कलम उठाता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब अपने प्रिय से न मिल सके 
यादों की व्यथा में खो जाये
साहित्य की सरिता में बह जाये
एक लेखनी लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके
मन गगन की उड़ान तो भरता है
अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है 
मन की भावना खूबसूरती से निखारता है
		तो समझो मनुज कवि बन जाता है

©संगीत कुमार #pen
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