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कवि प्रभात
मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब तक प्रियतम | जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम || ©कवि प्रभात हिंदी कविता कविता कोश कविता
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White एक दुल्हन बनी लड़की मुंबई कि सूनसान सड़कों पर अपना लेहंगा संभालते हुए भाग रही थी उसके चेहरे पर डर से पसीने कि बूँदे चमक रहीं थी। वो लड़की बिना रुके लगातार भागे जा रही थी कि तभी कुछ बड़ी बड़ी और एक्स्पेन्सिव सात आठ गाड़ीयां आकर उस लड़की के चारों तरफ गोल गोल घूमने लगी। वो लड़की उन गाड़ीयों को देख अपना थूक निगल लेती है और डर से उन सब गाड़ीयों को देखने लगती है तभी सारी गाड़ीयां एक दम से रुक जाती हैं और उनमे से बहुत सारे आदमी जो ब्लैक सूट पहने थे वो बाहर आते हैं। उन गाड़ीयों मे से जो सबसे बड़ी और ज्यादा एक्स्पेन्सिव गाड़ी थी उसमें से शेरवानी पहने एक हैंडसम सा आदमी निकला जो देखने से हि किसी रोयल खानदान का लग रहा था जिसकी बिल्ली जैसी भूरी आँखे थी गोरा रंग हल्की हल्की दाढ़ी और सुर्ख लाल होंठ उस आदमी कि पर्सनालिटी बहुत अट्रेक्टिव थी। वो आदमी सीधा उस लड़की के पास आया जो अभी डर से अपना पसीना पोछ रही थी और नफ़रत से उस आदमी को घूर रही थी इतने मे उस आदमी ने दुल्हन बनी लड़की का हाथ पकड़ उसे ले जा कर अपनी गाड़ी में धकेल दिया वो लड़की अपना हाथ छुराते रह गई चीखती चिल्लाती रह गई लेकिन किसी पर कोई असर नहीं हुआ। कुछ देर मे सारी गाड़ीयां एक बड़े मेंसन के सामने आकर रुकीं तो वॉचमेन ने बड़ा सा गेट खोल दिया और सारी गाड़ीयां अंदर आ गई उनके अंदर आते हि वॉचमेन ने गेट बंद कर दिया और वापस अपनी पोजीशन में खड़ा हो गया। वो आदमी अपनी एक्स्पेन्सिव कार से बाहर निकला और उस दुल्हन बनी लड़की को अंदर ले जाने लगा वो भी लगभग खींचते हुए वो लड़की अपना हाथ छुराने कि कोशिश कर रही थी और लगातार उस आदमी पर चिल्ला रही थी लेकिन वो आदमी अपने चेहरे पर सख्त भाव लिए उसे अंदर लेके जा रहा था उसकी पकड़ लड़की के हाथ पर कसी हुई थी जिस वजह से उस लड़की के गोरे हाथ पर लाल निशान पड़ गए थे और उस लड़की को बहुत दर्द भी हो रहा था जिसे वो जाहिर नहीं होने दे रही थी और लगातार उस आदमी पर चिल्ला रही थी कि वो उसे छोड़ दे लेकिन वो आदमी छोरे तब ना। दोनों अंदर मेंसन मे आ गए जहाँ पहले से हि मंडप सजा हुआ था जहाँ पंडित जी अपना सर झुकाय खड़े थे वो आदमी खींचते हुए दुल्हन बनी लड़की को मंडप पर लाया और पंडित जी से बोला ''पंडित जी मंत्र पढना शुरू करो'' उस आदमी कि बात पर वो लड़की जिसकी आँखे इस वक़्त गुस्से और आंसुओ से लाल हो रही थी गुस्से से बोली ''मैं ये शादी नहीं करूंगी....सुना तुमने नहीं करुँगी.......तुम मुझे जबरदस्ती यहाँ तक ला सकते हो लेकिन जबरदस्ती शादी नहीं कर सकते'' उस लड़की कि बात पर वो आदमी शैतानी हंसी हस्ते बोला ''ओह रियली.....क्या तुम्हें अपनी बेस्ट फ्रेंड से प्यार नहीं'' तो वो लड़की हैरानी से बोली ''क्या.....मतलब क्या है तुम्हारा.....कहना क्या चाहते हो तुम......देखो तुमने अगर मेरी दोस्त को कुछ भी किया तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा.....समझे तुम(गुस्से से)'' तभी उस आदमी ने अपना मोबाइल निकाल उस लड़की के सामने कर दिया और बोला ''अगर ये शादी नहीं हुई तो मैं जो भी करूँगा उसकी ज़िम्मेदार तुम खुद होगी'' वो विडीओ देख उस लड़की के रुके हुए आंसू भी बहने लगे उसकी हिम्मत अब टूट सी गई थी वो अपने साथ सब बर्दास्त कर सकती थी लेकिन अपनी बेस्ट फ्रेंड को ऐसे देख उसकी हिम्मत टूट गई। वो लड़की रोते हुए हाथ जोर बोली ''प्लीज़ मेरी दोस्त को छोड़ दो....मैं..मैं जो तुम कहोगे वो करूंगी.....मैं शादी करूंगी तुमसे बट प्लीज़ मेरी दोस्त को छोड़ दो'' उसकी बात सुन उस आदमी के चेहरे पर डेविल स्माइल आ गई उसने ''गुड'' कह लड़की को बैठने का इशारा किया तो वो लड़की चुप चाप अपनी जगह बैठ गई। वो आदमी भी लड़की के बगल में बैठ गया और डेविल स्माइल के साथ बोला ''पंडित जी शादी कराओ'' वो पंडित डर से कांपती आवाज़ मे मंत्र पढ़ने लगा कुछ देर बाद पंडित जी बोले ''अब आप दोनों फेरों के लिए खड़े हो जाइये'' उनकी बात पर वो आदमी तो खड़ा हो गया लेकिन वो लड़की जमी सी वहीं बैठी रही जिसे देख वो आदमी सख्त आवाज़ में बोला ''सुना नहीं क्या कहा पंडित जी ने......उठो'' उसके केहने पर भी दुल्हन नहीं उठी तो उसने उसे अपनी गोद में उठा लिया और ऐसे हि फेरे लेना शुरू कर दिया। फेरों के बाद दोनों वापस अपनी जगह बैठ गए वो लड़की किसी मुहर्त कि तरफ बैठी थी जिसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे लेकिन आँखों मे मजबूरी और दर्द साफ दिखाई दे रहा था। तभी पंडित जी सिन्दूर कि डिब्बी दूल्हे को देते हुए बोले ''अब आप वधू कि माँग में सिन्दूर भरिये'' उस आदमी ने सिन्दूर कि डिब्बी ली और लड़की कि मांग में पूरा सिन्दूर उड़ेल दिया और वो लड़की बस आँखे मूँद के रह गई। आदमी के मंगलसूत्र पहनाने के बाद पंडित जी बोले ''शादी सम्पन्न हुई '' और वो आदमी डेविल स्माइल के साथ मन हि मन बोला ''इसी के साथ तुम्हारी बर्बादी भी शुरू हुई स्वीट हार्ट'' वो आदमी उठा और उस लड़की का हाथ पकड़ उसे खींचते हुए अपने रूम मे लाकर बंद कर दिया और खुद अपने स्टडी रूम मे आ गया। वो आदमी किसी राजा कि तरह अपने किंग साइज सोफे पर बड़े हि स्टाइल में पैर पर पैर रख बैठ गया। उसके सामने उसका असिस्टेंट अपना सर झुकाय् खड़ा था ''जो काम बोला था हो गया'' उस आदमी कि सख्त आवाज़ पर असिस्टेंट ने सर उठाया और कांपती आवाज़ में बोला ''यस सर'' ''ओके गुड.....नाउ गेट आउट''उस आदमी ने फिर सख्त लेह्जे मे बोला तो वो असिस्टेंट वहाँ से भाग गया। उसके जाते हि उस आदमी के चेहरे पर डेविल स्माइल तैर गई। आखिर कौन है ये आदमी?और कौन है वो लड़की जिसेसे इसने जबरदस्ती शादी कि है? ©Afifa "जुनून''(नफ़रत से इश्क़) - {भाग-1}
"जुनून''(नफ़रत से इश्क़) - {भाग-1}
read morepunit shrivas
तेज़ हवाओ से पर्वत हिलेगा नही सुंदर भूमी पर कमल खिलेगा नही एक जैसी शक्ल के मिलेंगे बहुत कोई दर्पण के जैसा मिलेगा नही पुनीत कुमार नैनपुर ©punit shrivas #talaash देशभक्ति कविता कविता कोश मराठी कविता कविता बारिश पर कविता
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मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh ©bina singh #devdas कविता ,कविता , प्रेम कविता कविता कोश
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read moreAmrendra Kumar Thakur
तरक्की का मतलब क्या? चूल्हे पर जलती धीमी लौ, कुनकुनाती आग में यादें बुनती जो। झुर्रियों में छिपी कितनी कहानियाँ, जीवन की उतार-चढ़ाव की निशानियाँ। सालों के सफ़र में ये हाथ थके, ख़्वाब बुने जो अब धुंधले दिखे। इस घर की नींव में उनके पसीने, आज अकेले, बिन किसी साए के जीने। तरक्की का मतलब क्या हुआ? अगर माँ-बाप का सहारा ना बना। जिन्होंने हर मुश्किल सह ली, उनके बुढ़ापे में, हम दूर चल दिए। दुनिया आगे बढ़ती जाती, पर ये उम्र ठहर सी जाती। सफलता का क्या मतलब है अगर, उनकी देखभाल से हम हट गए, कहीं दूर जाकर? ना हो उनकी उम्र में कोई दर्द, ना झलके आँखों में कोई सर्द। तरक्की वो नहीं जो प्यार ना दे, जो अपने बुज़ुर्गों का साथ ना रहे। ©Amrendra Kumar Thakur #oldage हिंदी कविता कविता कोश कविता हिंदी कविता
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read morevineet kumar sharma
#HeartfeltMessage प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता हिंदी कविता कविता कोश कविता
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