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RAMLALIT NIRALA
White Happy anniversary हाय दोस्तो आप सब कैसे हो मैं जानता हूं कि आप सब बहोत अच्छे होगें हर दिन मैं आप के लिये दुवा करता हूं प्राकृतिक से आपके जिवन में दुःख कभी न आये आज मेरा सालगिरह है 15-12-2023 देखता हूँ कि आप लोग कितना प्यार देते हैं मूझे और मेरी प्यारी पत्नी को आर के जी ©RAMLALIT NIRALA दुनिया में सब कुछ बिक सकता है पर प्यार नहीं
दुनिया में सब कुछ बिक सकता है पर प्यार नहीं
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय। सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ््् ्््निज विचार ््् ्््शीर्षक ््् ््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,, जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें , वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके, शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत, देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ््् ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,, व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।। तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,, पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।। हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,, ,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।। सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,, यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।। तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।। पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में ,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,, तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।। आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।। जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।। आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,, वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 30,, नवम्बर,,2024,,रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय। सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ््् ्््निज विचार ््् ्््शीर्षक ््् ््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,, जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें , वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके, शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत, देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ््् ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,, व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।। तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,, पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।। हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,, ,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।। सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,, यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।। तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।। पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में ,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,, तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।। आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।। जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।। आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,, वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 30,, नवम्बर,,2024,, ©Shailendra Anand Hinduism््देशभक्तिऔर संविधान में न्याय निष्ठा ही मानव धर्म कर्म है ्् कवि शैलेंद्र आनंद
Hinduism््देशभक्तिऔर संविधान में न्याय निष्ठा ही मानव धर्म कर्म है ्् कवि शैलेंद्र आनंद
read moreआधुनिक कवयित्री
White जिंदगी में घुटन सी होती हैं, जब ये दुनिया रुलाती है। कह भी नहीं सकते ये दर्द किसी को, यहां दोस्ती भी मतलबी कहलाती है। ए खुदा बस तेरा ही ख्याल आता है , अकेले में तो आंखें भी भर जाती हैं। मुस्कुराना ही भूल गए, बस यादें ही सताती हैं। बिन अपराध की सजा मिलती है, बस तेरे भरोसे सहन हो जाती हैं। ए _खुदा तूने ही ये दुनियां बनाई, ये दुनिया क्यों भूल जाती हैं। सीने में रहती हैं सांसे, फिर भी साथ छोड़ जाती हैं। कोई दवा नहीं है दिल के घावों की, ये जिंदगी भी मरहम ना लगाती है। जिंदगी में घुटन सी होती है...... जब ये दुनियां रुलाती है......... ©आधुनिक कवयित्री दुनिया बहुत रुलाती है......
दुनिया बहुत रुलाती है......
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