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Parasram Arora
White बस्तीके एक कोने मे अमन की तहरीर पढ़ी जा रहीं है और बस्ती के दूसरे कोने मे गोलियों की बारिश की जा रहीं है हमें तो लगता है कहीं ये अमन की बाते करने वाले खुद ही कोई फसादीं न हो ©Parasram Arora अमन
अमन
read morePyare ji
White मृत्यु भोज खाने तो सब आ जाते हैं, मृत्यु से पहले हाल पूछने नहीं आते। ©Pyare ji #Sad_Status ... SIDDHARTH.SHENDE.sid "सीमा"अमन सिंह pramodini Mohapatra Sircastic Saurabh
#Sad_Status ... SIDDHARTH.SHENDE.sid "सीमा"अमन सिंह pramodini Mohapatra Sircastic Saurabh
read morePyare ji
White प्रेम देने पर भी बदले में लोग प्रेम क्यूं नहीं देते? न्यूटन का थर्ड लॉ हर जगह लागू नहीं होता क्या? ©Pyare ji #good_night Writer "सीमा"अमन सिंह M.K.kanaujiya Sircastic Saurabh Kridha
#good_night Writer "सीमा"अमन सिंह M.K.kanaujiya Sircastic Saurabh Kridha
read morePyare ji
White दोस्त कर्ण की तरह सारथी कृष्ण की तरह शिष्य एकलव्य की तरह पुत्र पितामह की तरह नसीब वालों को ही मिलता है। ©Pyare ji #Sad_Status R Ojha अdiति Sircastic Saurabh Writer "सीमा"अमन सिंह
#Sad_Status R Ojha अdiति Sircastic Saurabh Writer "सीमा"अमन सिंह
read moremahi singh
सुनो... की बुलंदियों को छूना ही जरूरी नहीं, खुद के बनाए रास्ते पर, चलना भी बड़ी बात है.. इन राहों पर चलते हुए.. कुछ लोग तुम्हें हौसला देंगे, तो ज्यादतर तानें मिलेंगे. इतना आसान नहीं होता, खुद की जमीन तैयार करके, सपनों के बीज बिखर देना.. तुम टूटना मत.. जब कुछ लोग, गले लगा कर, तुम्हें छल लेंगे. तुम हौसला हो उनका, जिन्होंने तुम पर भरोसा किया. तुम्हारे बुने हुए... कुछ पूरे - कुछ अधूरे मधुर सपने. उनको.. उनका, उज्ज्वल कल देंगे ©mahi singh pramodini Mohapatra "सीमा"अमन सिंह Ana pandey katha R Ojha
pramodini Mohapatra "सीमा"अमन सिंह Ana pandey katha R Ojha
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White मेरी सबसे बड़ी उम्मीद मौत से है ,की वो तभी आए जब मैं सभी अपनो के उम्मीद को पूरा कर लिया होऊंगा ।मुझे पता है ये असंभव है उसी तरह जिस तरह सभी के उम्मीदों पर खरा उतरना। ©Pyare ji #love_shayari katha ख्वाहिश___... R Ojha M.k.kanaujiya "सीमा"अमन सिंह
#love_shayari katha ख्वाहिश___... R Ojha M.k.kanaujiya "सीमा"अमन सिंह
read moreअखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
सावन डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द) सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर । लख कर जलधर , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर । परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर। सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर। ©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन' #रक्षाबंधन #सावन #शिवजी